भारत में कॉलेजियम सिस्टम पर विवाद, जानिए दुनिया के 5 बड़े देशों में जजों की नियुक्ति का प्रोसेस क्या है
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जजों की नियुक्ति के लिए बने कॉलेजियम सिस्टम को लेकर विवाद थमता नहीं दिख रहा है. केंद्रीय कानून मंत्री किरन रिजिजू ने संसद में कहा कि जब तक जजों की नियुक्तियों का तरीका नहीं बदलेगा, तब तक नियुक्तियों और खाली पदों पर सवाल उठते रहेंगे. ऐसे में जानना जरूरी है कि भारत में जजों की नियुक्ति कैसे होती है? और अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, रूस में जज कैसे नियुक्त होते हैं?
कॉलेजियम सिस्टम को लेकर विवाद फिलहाल थमता नजर नहीं आ रहा है. कॉलेजियम सिस्टम से ही सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति होती है.
कानून मंत्री किरन रिजिजू ने गुरुवार को संसद में कहा कि जब तक जजों की नियुक्ति का तरीका नहीं बदलेगा, तब तक नियुक्तियों और खाली पदों पर सवाल उठते रहेंगे.
रिजिजू ने ये भी बताया कि अदालतों में पेंडिंग केस की संख्या पांच करोड़ को छूने वाली है. अदालतों में जजों के कई पद खाली हैं. उन्होंने कहा कि पेंडिंग केस को कम करने के लिए सरकार ने कई उपाय किए हैं. अदालतों में खाली पदों को भरने के लिए सरकार के पास बहुत सीमित शक्तियां हैं और सरकार कॉलेजियम की सिफारिश से आए नामों के अलावा दूसरे नामों पर विचार भी नहीं कर सकती.
किरन रिजिजू ने ये भी बताया कि कई सारे रिटायर्ड जजों, कानून के जानकारों, वकीलों और राजनेताओं की राय थी कि सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) को रद्द करने का जो फैसला लिया था, वो सही नहीं था.
जब देश में जजों की नियुक्ति को लेकर बवाल चल रहा है तो ये जानना भी जरूरी है कि भारत में अदालतों में जज कैसे नियुक्त होते हैं? और दुनिया के बाकी देशों में जजों की नियुक्ति का तरीका क्या है?
भारत में क्या है नियुक्ति का तरीका?
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