
भारत के खिलाफ 10 दिन में 3 प्रस्ताव, रूस ने तीनों पर ही VETO लगा दिया, जब UNSC में भारत की लड़ाई लड़ा USSR
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भारत और रूस की दोस्ती दशकों से वक्त की कसौटी पर खरी उतरी है. 1971 में भारत जब पूर्वी पाकिस्तान में जंग में उलझा था तो UNSC में भारत को दुनिया के ताकतवर मुल्कों के खिलाफ एक और जंग लड़नी पड़ी थी. इन देशों ने एक के बाद एक भारत के खिलाफ रेजूलेशन लाया, लेकिन हर रेजूलेशन को रूसी वीटो का सामना करना पड़ा.
"रूस में सर्दियों में तापमान माइनस से कितना भी नीचे क्यों न चला जाए, भारत-रूस की दोस्ती का तापमान हमेशा 'प्लस' में रहा है, यह गर्मजोशी से भरा है." ये कथन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का है. जब पीएम मोदी पिछले साल रूस गए थे तो उन्होंने हिंद-सोवियत दोस्ती के सुनहरे अतीत को याद किया था. भारत-रूस की दोस्ती का ये कारवां दशकों से चला आ रहा है.
आज शुरू हो रहे रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से दोस्ती और भरोसे की ये डोर और भी मजबूत होगी. हिन्द-सोवियत दोस्ती की ऐतिहासिक वजहें रही है. कोल्ड वार का दौर, दो गुटों में बंटी दुनिया, गुट निरपेक्षता की भारत की नीति और इंडो-पाक वार ने इस रिश्ते को परिभाषित किया.
1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया जैसे कुछ देश थे जिन्होंने पूर्वी पाकिस्तान में पाक आर्मी के अत्याचार पर आंखें मूंद ली थी. ये युद्धविराम चाहते थे और सेनाओं की वापसी चाहते थे. भारत ने जब इस युद्ध में प्रवेश किया तो ये देश कथित शांति बहाली के नाम पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के खिलाफ एक के बाद एक प्रस्ताव ला रहे थे. 4 दिसंबर 1971 से 13 दिसंबर 1971 के बीच सुरक्षा परिषद में भारत के खिलाफ 3 प्रस्ताव लाए गए. लेकिन सोवियत रूस ने हर वार इन पर वीटो लगा दिया.
ये बेहद दिलचस्प है कि आज से ठीक 54 साल पहले UNSC में रूस ने भारत-पाकिस्तान जंग पर लाए गए अमेरिकी प्रस्ताव पर वीटो लगाकर भारत के साथ अपने अटूट दोस्ती की मुनादी कर थी. इस युद्ध का नतीजा 16 दिसंबर को पाकिस्तान का सरेंडर और बांग्लादेश के निर्माण के रूप में सामने आया था. आज 54 साल बाद रूस के राष्ट्रपति भारत दौरे पर आ रहे हैं.
अगर ये प्रस्ताव पास हो जाते तो आज दक्षिण एशिया का राजनीतिक नक्शा अलग हो सकता था. शायद पाकिस्तान के दो टुकड़े न होते. इन प्रस्तावों के पास हो जाने से भारत को सीजफायर करना पड़ता और शायद पूर्वी पाकिस्तान की आजादी को कुचलने की पाकिस्तान की साजिश कामयाब हो जाती.
आइए समझते हैं कि कूटनीति की इस मुश्किल घड़ी में इंदिरा ने कैसे दुनिया की शक्तियों को साधा और किन परिस्थितियों में सोवियत रूस ने भारत के खिलाफ आए न प्रस्तावों पर वीटो लगा दिया.

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