
भारतीय चुनाव में अमेरिकी फंडिंग के आरोप, पूर्व चुनाव आयुक्त बोले- ऐसा कभी नहीं हुआ
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पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने रविवार को उस रिपोर्ट को खारिज किया जिसमें कहा गया था कि उनके कार्यकाल के दौरान भारत में मतदाता भागीदारी बढ़ाने के लिए एक अमेरिकी एजेंसी द्वारा वित्तीय मदद दी गई थी.
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने रविवार को उस रिपोर्ट को खारिज किया जिसमें कहा गया था कि उनके कार्यकाल के दौरान भारत में मतदाता भागीदारी बढ़ाने के लिए एक अमेरिकी एजेंसी द्वारा वित्तीय मदद दी गई थी. यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब यूएस डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) ने शनिवार को एक पोस्ट में घोषणा की कि वह अपनी कई योजनाओं को रद्द कर रहा है, जिनमें "भारत में मतदाता भागीदारी" के लिए 21 मिलियन डॉलर का खर्च भी शामिल था. बता दें कि अमेरिका की DOGE का नेतृत्व एलन मस्क कर रहे हैं.
पूर्व चुनाव आयुक्त ने क्या कहा
कुरैशी ने कहा कि 2012 में उनके कार्यकाल के दौरान चुनाव आयोग और इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्ट्रोरल सिस्टम्स (IFES) के बीच एक एमओयू हुआ था, लेकिन इसमें कोई भी वित्तीय सहायता या फंडिंग का वादा नहीं था. यह एमओयू केवल प्रशिक्षण के लिए था.
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि एमओयू में यह स्पष्ट रूप से कहा गया था कि दोनों पक्षों पर किसी भी प्रकार की वित्तीय या कानूनी जिम्मेदारी नहीं होगी और इसमें किसी भी फंडिंग का कोई जिक्र नहीं है.
अब जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल, एलन मस्क के DOGE ने रविवार को घोषणा की कि अमेरिका ने भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए बनाए गए 21 मिलियन डॉलर के कार्यक्रम में कटौती करने का फैसला किया है.

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