बृजभूषण की जगह बेटे को मिला टिकट, कैसरगंज सीट पर BJP ने कैसे तय किया उम्मीदवार
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34 साल के करण भूषण सिंह यूपी कुश्ती संघ के प्रमुख हैं. सांसद पिता के सामने विवादों की बहुत ऊंची हो चुकी दीवार को पिता के दम पर ही लांघकर अब बेटे करण को कैसरगंज से टिकट मिला है. जिसके बाद अब तक खुद प्रचार में ताकत दिखाकर अपने टिकट के एलान का इंतजार करते बाहुबली बृजभूषण शऱण सिंह अब बेटे के नाम टिकट दिल्ली से आने पर कहते हैं, पार्टी का फैसला सिर आँखों पर.
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर, बीजेपी ने गुरुवार को कैसरगंज सीट से प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर दी. इसी के साथ उत्तर प्रदेश की चर्चा में रहने वाली तीसरी सीट का सस्पेंस भी दूर हो गया. बीजेपी ने गुरुवार को प्रत्याशियों की अपनी सत्रहवीं लिस्ट जारी की. इस कैसरगंज सीट से मौजूदा सांसद बृजभूषण शरण सिंह का टिकट काटा गया, लेकिन पार्टी ने उन्हीं के बेटे करण भूषण सिंह को उम्मीदवार भी बना दिया. यानि की टिकट कटा जरूर, लेकिन रहा घर में ही.
पिता का कटा टिकट, बेटे को मिला अब चलते हैं सात महीने पीछे, जब मीडिया बातचीत के दौरान बृजभूषण शरण सिंह से पूछा गया कि क्या आपको टिकट मिल रहा है, तब उन्होंने काफी रौबदारी में कहा, 'कौन काट रहा है उसका नाम बताओ....काटोगे आप....काटोगे....काटपाओ काट लेना'. सात महीने पहले जो बृजभूषण शरण सिंह पूछ रहे थे कि, कौन काटेगा टिकट.... उन्हें 2 मई 2024 को कैसरगंज में पर्चा भरने की आखिरी तारीख से ऐन पहले फोन करके बता दिय गया कि आपका टिकट काटना पड़ रहा है. आपके बेटे करण भूषण सिंह का टिकट फाइनल हुआ है. नाम सामने आते ही अब फिजा में गूंजने वाला नारा थोड़ा लंबा हो गया था. जहां पहले अकेले बृजभूषण का नाम गूंज रहा था, अब वहां करण भूषण के नाम का नारा भी गूंज रहा था. सांसद जी जिंदाबाद....करण भैया सांसद जी जिंदाबाद...जिंदाबाद.
यूपी कुश्ती संघ के प्रमुख हैं करण 34 साल के करण भूषण सिंह यूपी कुश्ती संघ के प्रमुख हैं. सांसद पिता के सामने विवादों की बहुत ऊंची हो चुकी दीवार को पिता के दम पर ही लांघकर अब बेटे करण को कैसरगंज से टिकट मिला है. जिसके बाद अब तक खुद प्रचार में ताकत दिखाकर अपने टिकट के एलान का इंतजार करते बाहुबली बृजभूषण शऱण सिंह अब बेटे के नाम टिकट दिल्ली से आने पर कहते हैं, पार्टी का फैसला सिर आँखों पर.
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लंबे वक्त से था बृजभूषण को फैसले का इंतजार पार्टी के फैसले का इंतजार तो खुद बृजभूषण शरण सिंह ही लंबे वक्त से कर रहे थे. खुद ही गोंडा औऱ बहराइच के बीच बंटे हुए कैसरगंज लोकसभा सीट पर जमकर प्रचार करते रहे. यहां तक कि कैंडिडेट के नाम पर जनता को उम्मीद बंधाए रहे. कहते थे 'कैंडिडेट का नाम सुनेंगे तो आप खुश हो जाएंगे. जहां तक हमारा सवाल है, होइहें वही जो राम रचि राखा, तर्क-वितर्क की जरूरत नहीं, अच्छा सोचा होगा, अच्छी उम्मीद करनी चाहिए.'
टिकट का ऐलान होने पर क्या बोले बृजभूषण बृजभूषण उम्मीद तो अपनी लगाए थे, लेकिन निशाना शूटिंग के नेशनल प्लेयर बेटे करण भूषण सिंह का फिट बैठा, क्योंकि पिता बृजभूषण शरण सिंह के लिए ग्रह नक्षत्र सही नहीं चल रहे थे. टिकट का ऐलान होने के बाद बृजभूषण शरण सिंह ने कहा भी कि 'हम पार्टी से बड़े नहीं, ये तबतक था, जब तक निर्णय नहीं आया था, अब सब खत्म.' उन्होंने कहा कि 'पार्टी हमसे बड़ी है,हम पार्टी के फैसले से खुश है जनता खुश है. पार्टी का निर्णय आ गया है.'टिकट कटा भी तो घर में रहा दबदबे की बात करने वाले बृजभूषण शरण सिंह की चुनावी हार-जीत से पहले क्या ये जीत ही है जहां टिकट कटा भी तो घर में ही रहा. 1979 में छात्रसंघ चुनाव से सियासत करते आ रहे बृजभूषण शरण सिंह, 6 बार के लोकसभा सांसद हैं. एक बार केवल लोकसभा का चुनाव हारे हैं. 5 बार बीजेपी, एक बार समाजवादी पार्टी से सांसद रहे हैं. परिवार में पत्नी सांसद रही हैं. एक बेटे प्रतीक भूषण पहले से विधायक हैं. अब दूसरे बेटे करण भूषण को पहली बार चुनाव लड़ने का मौका मिला है. बेटा अगर संसद जाता है तो फिर बृजूभषण शरण सिंह क्या करेंगे. इसके जवाब में वह कहते हैं कि, 'होइहै वही जो राम रचि ऱाखा, जिंदगी नदी की धारा है, जो सोचता है उसके अनुरूप नहीं होता है.'
पूछताछ में भाभी ने बताया कि राजू और उसके बीच चल रहे प्रेम प्रसंग के बारे में गांव के राहुल और उसके परिवार को मालूम था. इधर, ननद पूनम की शादी की बात राहुल से ही चल रही थी, जिसका भाभी ने बहुत अधिक विरोध किया था. दरअसल, इससे उसके पति और ससुराल वालों को प्रेम प्रसंग का पता चल जाता. इसलिए वारदात को अंजाम देने की योजना बनाई.