'बीजेपी का विदाई बजट', मोदी सरकार के अंतरिम Budget पर विपक्ष ने साधा निशाना
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए अंतरिम बजट में इनकम टैक्स में कोई राहत नहीं दी गई है लेकिन दूसरे क्षेत्रों में कुछ ऐलान किए गए हैं. बजट के बाद पीएम ने इसे विकसित भारत के सपनों का बजट बताया. वहीं इस बजट को लेकर विपक्ष मोदी सरकार को घेर रहा है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को 56 मिनट के भाषण के साथ अपना लगातार छठा बजट पेश किया. ये उनका अब तक का सबसे छोटा भाषण था. अंतरिम बजट में इनकम टैक्स में कोई राहत नहीं दी गई है लेकिन दूसरे क्षेत्रों में कुछ ऐलान किए गए हैं. बजट के बाद पीएम ने इसे विकसित भारत के सपनों का बजट बताया. वहीं इस बजट को लेकर विपक्ष मोदी सरकार को घेर रहा है.
अखिलेश यदाव ने इसे बीजेपी का विदाई बजट बताया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सपा अध्यक्ष ने लिखा, "कोई भी बजट अगर विकास के लिए नहीं है और कोई भी विकास अगर जनता के लिए नहीं है तो वो व्यर्थ है. भाजपा सरकार ने जनविरोधी बजटों का एक दशक पूरा करके एक शर्मनाक रिकार्ड बनाया है, जो फिर कभी नहीं टूटेगा क्योंकि अब सकारात्मक सरकार आने का समय हो गया है. ये भाजपा का विदाई बजट है."
वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा, "केन्द्र सरकार द्वारा लोकसभा चुनाव से पूर्व, संसद में आज पेश बजट जमीनी वास्तविकता से दूर चुनावी लुभावने वाला ज़्यादा . इस प्रकार, देश की जनता की अपार गरीबी, बेरोजगारी व बढ़ती हुई मंहगाई आदि से त्रस्त जीवन को नकारना अति-दुःखद व चिंतनीय. इसके साथ ही, देश की अर्थव्यवस्था व विकास संबंधी सरकारी दावों व वादों में जमीनी सच्चाई होती तो फिर यहाँ के 80 करोड से अधिक लोगों को फ़्री में राशन का मोहताज जीवन जीने को मजबूर नहीं होना पड़ता."
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा, "निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट पेश किया है. चूंकि चुनाव है इसलिए यह चुनावी बजट है. पिछले साल के बजट से 5.8% ज्यादा. बजट की ग्रोथ 5.8 फीसदी है. यह बजट चुनावी दृष्टि से बनाया गया निराशाजनक बजट है. इस बजट का विश्लेषण करना कठिन है."
टीएमसी ने इस बजट को लक्ष्यहीन करार दिया. बंगाल मंत्री और टीएमसी नेता चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा, "यह अंतरिम बजट लक्ष्यहीन है. यह आम आदमी का बजट नहीं है, इस अंतरिम बजट में कोई दम नहीं है. उन्होंने डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स में कोई बदलाव नहीं किया है. इससे साबित होता है कि उन्होंने आम आदमी के लिए कुछ नहीं किया."
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा, "वित्त मंत्री ने युवाओं के बारे में बात की. उन्होंने बेरोजगारी पर कोई बात नहीं की. पीएलएफएस (जुलाई 2022-जून 2023) और स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया रिपोर्ट, 2023 के अनुसार, 15-29 वर्ष की आयु के युवाओं में बेरोजगारी दर 10% प्रतिशत (ग्रामीण 8.3, शहरी 13.8) है. 25 वर्ष से कम आयु के स्नातकों में बेरोजगारी दर 42.3 प्रतिशत है. यहां तक कि जब स्नातक 30-34 वर्ष की आयु तक पहुंचते हैं, तब भी बेरोजगारी दर 9.8 प्रतिशत होती है. एफएम ने बड़े पैमाने पर बेरोजगारी को स्वीकार नहीं किया और अपने भाषण के दौरान एक शब्द भी नहीं बोला."