बिहार: प्राइवेट एंबुलेंस के ड्राइवर बोले- सरकारी रेट सही नहीं, जिंदगी रिस्क पर लेकर करते हैं काम
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कोरोना संकट के बीच प्राइवेट एम्बुलेंस के लिए बिहार सरकार ने किराया निर्धारित तो कर दिया है, लेकिन एम्बुलेंस चालक इसको मानने के लिए तैयार नहीं हैं.
कोरोना संकट के बीच प्राइवेट एम्बुलेंस के लिए बिहार सरकार ने किराया दर निर्धारित तो कर दिया है, लेकिन एम्बुलेंस चालक इसको मानने के लिए तैयार नहीं हैं. उनका कहना है कि हम अपने लाइफ का रिस्क लेकर ये काम कर रहे हैं, घर के लोग बीमार या फिर डेड बॉडी के साथ एम्बुलेंस में नहीं बैठते हैं, सरकार ने जो किराया तय किया है, वो कहीं से भी उचित नहीं है. एंबुलेंस ड्राइवर का कहना है कि PPE किट, सैनिटाइजर सब अपना इस्तेमाल करना पड़ता है. दरअसल, सरकार से 18 रुपये प्रति किलोमीटर से लेकर 25 रुपये प्रति किलोमीटर तक विभिन्न कैटेगरी के एम्बुलेंस के लिए किराया निर्धारित किया है. 50 किलोमीटर के लिए ये 1500 से 2500 रुपये तक है.नवाज शरीफ ने 25 साल बाद एक गलती स्वीकार की है. ये गलती पाकिस्तान की दगाबाजी की है. 20 फरवरी 1999 को दिल्ली से जब सुनहरी रंग की 'सदा-ए-सरहद' (सरहद की पुकार) लग्जरी बस अटारी बॉर्डर की ओर चली तो लगा कि 1947 में अलग हुए दो मुल्क अपना अतीत भूलाकर आगे चलने को तैयार हैं. लेकिन ये भावना एकतरफा थी. पाकिस्तान आर्मी के मन में तो कुछ और चल रहा था.
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