
बांग्लादेश में दीपू चंद्र दास की हत्या, हिंदू समुदाय ने कैनबरा में हाई कमीशन को सौंपा ज्ञापन
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कैनबरा में हिंदू समुदाय के प्रतिनिधि दल ने बांग्लादेश हाई कमिशन को दीपू चंद्र दास की निर्मम हत्या पर ज्ञापन सौंपा. दीपू, जो बांग्लादेश के मयमनसिंह जिले में एक मजदूर थे, पर भीड़ ने धार्मिक अपमान के झूठे आरोप लगाकर हमला किया और उनकी हत्या कर दी. पुलिस जांच में आरोपों के लिए कोई ठोस सबूत नहीं मिला.
कैनबरा में आज हिंदू समुदाय के एक प्रतिनिधि दल ने बांग्लादेश हाई कमिशन का दौरा किया और दिपु चंद्र दास की निर्मम हत्या पर अपनी गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए एक ज्ञापन सौंपा. ये ज्ञापन जन गणराज्य बांग्लादेश के माननीय चीफ एडवाइजर के नाम था.
प्रतिनिधि दल ने मुद्दों को संक्षेप और प्रभावी ढंग से हाई कमिशन के मंत्री चार्जे र्डि अफेयर्स को पेश किया. उन्होंने इस मामले में सहानुभूति व्यक्त की और आश्वासन दिया कि हाई कमिश्नर के लौटने के बाद ज्ञापन पर चर्चा की जाएगी और उचित कदम उठाए जाएंगे. इस पहल को सफल बनाने में योगदान देने वाले सिडनी से आए लोगों और कैनबरा में जुड़े सभी लोगों का प्रतिनिधि दल ने धन्यवाद किया.
प्रतिनिधि दल ने कहा कि हमें मिलकर अपनी आवाज़ उठाते रहना चाहिए और इस तरह के अमानवीय कृत्यों के खिलाफ एकजुट रहना चाहिए.
दीपू चंद्र दास : कौन थे और क्या हुआ था
दीपू चंद्र दास 25–27 वर्ष के एक हिंदू युवा थे जो बांग्लादेश के मयमनसिंह जिले के भालुका इलाके में एक गारमेंट फैक्ट्री में मजदूर के रूप में काम करते थे. 18 दिसंबर, 2025 की शाम को भीड़ ने उन पर ईशनिंदा (धार्मिक अपमान) का आरोप लगाया. आरोप के बाद भीड़ ने उन्हें जोरदार पीटा और बाद में उनका शव सड़क के किनारे फांसी पर लटकाकर जला दिया. पुलिस और रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) की जांच में ये पता चला कि दीपू पर लगे धार्मिक अपमान के आरोप के पिछे कोई ठोस सबूत नहीं मिला है, और उसके बारे में कोई भी व्यक्ति सीधे ये साबित नहीं कर सका कि उन्होंने ऐसा कुछ कहा या किया था.
कई रिपोर्टों में ये भी सामने आया कि फैक्ट्री के कुछ सहकर्मियों ने दीपू को भीड़ के हवाले कर दिया और घटना के दौरान पुलिस को बुलाने में भी देरी हुई. बांग्लादेश पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने अब तक 10–12 लोगों को गिरफ्तार किया है जिन पर इस हत्या का शक है. इस घटना ने बांग्लादेश और भारत में व्यापक आक्रोश पैदा किया है.

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