
बसों की संख्या घटाई, लगातार हुआ घाटा... डीटीसी से जुड़ी CAG रिपोर्ट दिल्ली विधानसभा में पेश
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CAG रिपोर्ट में कहा गया है कि फ्लीट में पुरानी बसों की संख्या बढ़कर 44.96% हो गई, जिससे उत्पादकता प्रभावित हुई और ब्रेकडाउन की घटनाएं बढ़ीं. खराब रूट प्लानिंग की वजह से सात साल के ऑडिट के दौरान डीटीसी को 14,198.86 करोड़ रुपये का परिचालन घाटा हुआ.
दिल्ली में रेखा गुप्ता की अगुवाई में बीजेपी की सरकार सत्ता संभालने के बाद से लगातार मुख्य विपक्ष आम आदमी पार्टी (AAP) पर हमलावर है. विधानसभा में एक-एक करके सीएजी की रिपोर्ट पेश की जा रही हैं और AAP के कार्यकाल में तमाम विभागों में धांधली के आरोप लगाए जा रहे हैं. शराब और मोहल्ला क्लीनिक से जुड़ी CAG रिपोर्ट के बाद सोमवार को दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) से जुड़ी एक कैग रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गई है.
विभाग के पास बिजनेस प्लान नहीं
इस रिपोर्ट में बताया गया कि 2021-22 में 660.37 करोड़ रुपये के कारोबार के साथ प्रतिदिन औसतन 15.62 लाख यात्रियों को ले जाने के बावजूद डीटीसी को लगातार घाटे का सामना करना पड़ रहा है. 2015-16 से 2021-22 तक सात साल के ऑडिट में पाया गया कि डीटीसी के पास कोई बिजनेस प्लान या परफॉरमेंस बेंचमार्क नहीं था और विभाग को मुनाफा में लाने के लिए भी कोई स्टडी नहीं की गई थी.
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डीटीसी बसों की संख्या को कम किया गया और आधुनिकीकरण के प्रयासों में देरी हुई है. इसमें इलेक्ट्रिक बसों की खरीद और देरी से डिलीवरी के लिए जुर्माना न लगाया जाना भी शामिल था. 2015-16 में 4,344 बसों से 2022-23 में फ्लीट साइज घटकर 3,937 रह गया और फंड होने के बावजूद सिर्फ 300 नई इलेक्ट्रिक बसें जोड़ी गईं. पुरानी बसों का अनुपात काफी बढ़ गया, जिससे ऑपरेशनल क्षमता प्रभावित हुई और यह अखिल भारतीय औसत से पीछे रह गई.

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