
बरगद के पेड़ में चाय की दुकान... 80 साल के दुकानकार, Anand Mahindra बोले- जाऊंगा यहां
AajTak
Anand Mahindra Viral Tweet : आनंद महिंद्र द्वारा शेयर किए गए वीडियो में जो चाय की दुकान है, वो अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के पास मौजूद है. इस दुकान को 80 साल के बुजुर्ग अजित सिंह संचालित करते हैं. इसका नाम 'चाय सेवा का मंदिर' है.
सोशल मीडिया (Social Media) पर खासे एक्टिव रहने वाले महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा (Anand Mahindra) कुछ न कुछ ऐसा पोस्ट करते रहते हैं, जो वायरल हो जाता है. उनके मोटिवेशनल ट्वीट्स चर्चा का विषय रहते हैं. इस बार उन्होंने एक चाय की दुकान का वीडियो (Tea Shop Video) शेयर किया है, जिसमें एक बुजुर्ग को चाय बनाते और बेचते हुए दिखाया गया है. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर बुजुर्ग की ये चाय की दुकान इतनी खास क्यों है? आइए बताते हैं...
45 साल से चल रही ये चाय की दुकान दिग्गज कारोबारी और अरबपति आनंद महिंद्रा ने अपने ट्विटर अकाउंट से जो वीडियो (Anand Mahindra Tweet Video) शेयर किया है, वो 6 मिनट 47 सेकेंड का है. एक चाय की दुकान को दिखाया गया है, जो बरगद के पेड़ की जटाओं के बीच खुली है. अमृतसर में खुली ये अनोखी दुकान नई नहीं है, बल्कि बीते 45 सालों से इस पेड़ के भीतर चल रही है. आनंद महिंद्रा द्वारा पोस्ट इस वीडियो के मुताबिक, जिस बरगद के पेड़ में ये दुकान है, वो भी सैकड़ों साल पुराना है.
80 साल की उम्र में कड़ी मेहनत अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के पास मौजूद इस दुकान को बुजुर्ग अजित सिंह संचालित करते हैं और चाय बनाने से लेकर ग्राहकों को पिलाने तक का काम वे खुदी करते हैं. अजित सिंह की उम्र 80 साल हो चुकी है, लेकिन वे लगातार इस चाय की दुकान को चला रहे हैं. उनकी इस दुकान का नाम 'चाय सेवा का मंदिर' है. यहां आने वाले ग्राहकों के मुताबिक, स्थानीय लोग इन्हें उनके असली नाम के बजाय बाबा कहकर ही पुकारते हैं. एलपीजी और पीएनजी के जमाने में भी ये अपनी चाय के स्वाद को बरकरार रखते हुए भट्टी पर ही चाय पकाते हैं.
There are many sights to see in Amritsar. But the next time I visit the city, apart from visiting the Golden Temple, I will make it a point to visit this ‘Temple of Tea Service’ that Baba has apparently run for over 40 years. Our hearts are potentially the largest temples.… pic.twitter.com/Td3QvpAqyl
'चलते रहेंगे, तो चंगे रहेंगे' दुकान पर चाय पीने के लिए आने वाले ग्राहक अजित सिंह की जमकर तारीफ करते हैं. ग्राहकों के मुताबिक, उन्हें पैसों से लगाव नहीं बल्कि सेवा की भावना के चलते ही वे सालों से कड़ी मेहनत करते हुए ये दुकान चला रहे हैं. किसी ने पैसा दिया तो भी ठीक, नहीं दिया तो भी ठीक. यहां तक कि कई बार इनकी दुकान का सामान भी चोरी कर लिया जाता है, लेकिन ये किसी तरह की कोई शिकायत नहीं करते. अजित सिंह कहते हैं कि इस उम्र में भी उन्हें अपने काम को करने में किसी तरह की कोई थकावट नहीं होती है. उन्होंने कहा, 'चलते रहेंगे, तो चंगे रहेंगे.'
आनंद महिंद्रा बोले, 'यहां जरूर जाउंगा' Anand Mahindra ने इस वीडियो को पोस्ट करते हुए लिखा, 'अमृतसर में देखने लायक बहुत सारे जगह हैं. लेकिन अगली बार जब मैं इस शहर में जाउंगा, तो स्वर्ण मंदिर के दर्शन के अलावा, इस 'चाय सेवा के मंदिर' में जाने का ध्यान रखूंगा. जिसे बाबा जाहिर तौर पर 40 वर्षों से अधिक समय से चला रहे हैं.' महिंद्रा चेयरमैन ने आगे लिखा, 'हमारा दिल ही संभावित रूप से सबसे बड़ा मंदिर है.' उनका ये वीडियो ट्वीट तेजी से वायरल हो रहा है और ट्विटर यूजर्स इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं साझा कर रहे हैं.

ZeroB H2OHH review: मार्केट में एक ऐसा प्रोडक्ट आया है, जो आपको हर जगह साफ पानी दे सकता है. इसके लिए आपको बार-बार पैकेज्ड पानी नहीं खरीदना होगा. हम बात कर रहे हैं ZeroB H2OHH बोतल की, जो बिना किसी बिजली के आपको हर जगह शुद्ध पानी देती है. हालांकि, ये किसी भी पानी को साफ नहीं कर सकती है. आइए जानते हैं इसका रिव्यू.

Polar Loop price in India: भारतीय बाजार में Polar ने अपना स्क्रीनलेस फिटनेस ट्रैकर लॉन्च कर दिया है. ये डिवाइस Whoop Band जैसे फीचर्स के साथ आता है. जहां Whoop Band के लिए यूजर्स को हर साल सब्सक्रिप्शन खरीदना होता है. वहीं Polar Loop के साथ ऐसा कुछ नहीं है. इस बैंड को यूज करने के लिए किसी सब्सक्रिप्शन की जरूरत नहीं होगी.

इंडिगो एयरलाइन की उड़ानों पर मंडराता संकट शनिवार, 6 दिसंबर को भी खत्म नहीं हुआ और हालात लगातार पांचवें दिन बिगड़े रहे. देश के कई हिस्सों में बड़ी संख्या में फ्लाइट्स रद्द करनी पड़ीं. बीते चार दिनों से जारी इस गड़बड़ी का सबसे बड़ा असर शुक्रवार को दिखा, जब 1,000 से ज्यादा उड़ानें रद्द हुईं, जबकि गुरुवार को करीब 550 फ्लाइट्स कैंसिल करनी पड़ी थीं.

भारत और यूरोप के वर्क कल्चर में फर्क को जर्मनी में काम कर रहे भारतीय इंजीनियर कौस्तव बनर्जी ने 'जमीन-आसमान का अंतर] बताया है. उनके मुताबिक, भारत में काम का मतलब अक्सर सिर्फ लगातार दबाव, लंबे घंटे और बिना रुके डिलीवरी से जुड़ा होता है, जबकि जर्मनी और यूरोप में काम के साथ-साथ इंसान की जिंदगी को भी बराबर अहमियत दी जाती है.









