बद्रीनाथ धाम के विकास के लिए सरकारी तेल कंपनियां देंगी 100 करोड़ रुपये
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चारधामों से एक और करोड़ों हिंदुओं की आस्था के केन्द्र बद्रीनाथ धाम के पुनर्विकास पर 100 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. पेट्रालियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने इस बारे में कई ट्वीट किए हैं. बद्रीनाथ धाम के विकास के लिए ये रकम सरकारी तेल कंपनियां खर्च करेंगी. जानें पूरी खबर...
धर्मेन्द्र प्रधान ने ट्वीट कर कहा कि बद्रीनाथ धाम के पुनर्विकास (री-डिवेलपमेंट) के लिए सरकारी तेल कंपनियों ने 100 करोड़ रुपये खर्च करने की प्रतिबद्धता जताई है. सनातन धर्म के सबसे पवित्र तीर्थों में से एक बद्रीनाथ धाम के री-डिवेलपमेंट से जुड़ना हमारी सरकारी तेल कंपनियों के लिए गर्व का विषय है. It is a matter of great pride for our oil PSUs to be associated with the redevelopment of one of the holiest shrines of Sanatan Dharma. We are committed to the development of Badrinath Dham in alignment with PM @narendramodi’s vision of retaining the pilgrimages spiritual legacy. pic.twitter.com/NJhZYdHHBp PSUs of @PetroleumMin— @IndianOilcl, @HPCL, @BPCLimited, @ONGC_ and @gailindia signed an MoU with Shri Kedarnath Utthan Charitable Trust for the development of Badrinath Dham as a spiritual smart hill town in the presence of Hon. CM Shri @TIRATHSRAWAT and Shri @satpalmaharaj. pic.twitter.com/rAtucjdavT Oil PSUs have committed ₹100 crore towards the Badrinath development master plan and will be undertaking several works for the beautification of the temple & its surroundings, including pilgrim and environment-friendly amenities, water supply, sewage management among others. pic.twitter.com/UINWqsZola The holy Badrinath Dham is not only a centre of faith for crores of Hindus across the world it is also a major centre of India’s pilgrimage economy with a great potential to facilitate regional economic development, generate employment and improve quality of lives. pic.twitter.com/o1Wd4lyTbTनवाज शरीफ ने 25 साल बाद एक गलती स्वीकार की है. ये गलती पाकिस्तान की दगाबाजी की है. 20 फरवरी 1999 को दिल्ली से जब सुनहरी रंग की 'सदा-ए-सरहद' (सरहद की पुकार) लग्जरी बस अटारी बॉर्डर की ओर चली तो लगा कि 1947 में अलग हुए दो मुल्क अपना अतीत भूलाकर आगे चलने को तैयार हैं. लेकिन ये भावना एकतरफा थी. पाकिस्तान आर्मी के मन में तो कुछ और चल रहा था.
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