'फोन से अश्लील वीडियो क्यों डिलीट किए?', बॉम्बे हाई कोर्ट ने राखी सावंत से पूछे सवाल
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बॉम्बे हाई कोर्ट के जज एमएस कार्णिक की पीठ राखी सावंत की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इस दौरान कोर्ट ने मुंबई के अंबोली पुलिस स्टेशन को 24 जनवरी तक किसी अन्य एक्ट्रेस द्वारा दर्ज मामले में राखी सावंत के खिलाफ कोई भी कठोर कार्रवाई नहीं करने को कहा है.
बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई के अंबोली पुलिस स्टेशन को 24 जनवरी तक किसी अन्य एक्ट्रेस द्वारा दर्ज मामले में राखी सावंत के खिलाफ कोई भी कठोर कार्रवाई नहीं करने को कहा है. हाई कोर्ट के जज एमएस कार्णिक की पीठ राखी सावंत की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी. राखी सावंत पर आरोप है कि उन्होंने एक फीमेल मॉडल के आपत्तिजनक वीडियो और फोटो इंटरनेट पर वायरल किए हैं. मॉडल ने इस मामले में राखी सावंत के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी.
अदालत ने सोमवार को उनसे पूछा कि उन्होंने मीडिया को कथित तौर पर दिखाए गए वीडियो को क्यों हटाया. इस सवाल के जवाब में राखी सावंत के वकील ने कहा कि सूचना और प्रौद्योगिकी अधिनियम (आईटी) के तहत एक को छोड़कर उनके खिलाफ दर्ज सभी अपराध जमानती थे और उनके पहले ही अंबोली पुलिस के साथ दो बार अपना बयान दर्ज कराया था और जांचकर्ताओं को अपना लैपटॉप और फोन भी सौंप दिया था. उन्होंने कहा कि राखी सावंत ने भी शिकायतकर्ता के खिलाफ ओशिवारा पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया था.
'राखी सावंत ने सबूत मिटाए'
हालांकि राखी सावंत की याचिका का विरोध करते हुए सरकारी वकील श्रीकांत गावंडे ने कहा, 'उन्होंने वीडियो हटाने के बाद जांचकर्ताओं को फोन दिया, इसलिए जांच अधिकारी ने आईपीसी की धारा 209 के तहत प्रमाण नष्ट करने के मामले में एक्शन लिया.' राखी सावंत के वकील ने तब जवाब दिया कि मूल वीडियो इंटरनेट पर हैं और यह अभियोजन का मामला भी नहीं है कि उसने वीडियो बनाए हैं.
राखी सावंत के खिलाफ धारा 354 (ए) (यौन उत्पीड़न), 500 (मानहानि), 504 (शांति भंग करने के लिए जानबूझकर अपमान), 509 (महिला की गरिमा का अपमान) के तहत दंडनीय अपराध के लिए अंबोली पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था. इस मामले में अभियोजन पक्ष का कहना है कि शिकायतकर्ता और राखी सावंत मॉडल हैं और उनके बीच रंजिश है. पहले भी एक-दूसरे के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज की गई थीं. शिकायतकर्ता का आरोप है कि 31 अक्टूबर, 2022 को राखी सावंत ने मीडिया के सामने कुछ वीडियो दिखाए और उनके खिलाफ अपमानजनक बयान दिया. वीडियो में शिकायतकर्ता की कथित रूप से अश्लील सामग्री दिखाई गई थी.
सेशन कोर्ट ने खारिज की अर्जी
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