
फल-फूल, पान पत्ता और मुल्तानी मिट्टी से तैयार हो रहा है रंग-गुलाल, केमिकल फ्री रंगों से खेलो होली
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रांची में विभिन्न फलों के पल्प, पान के पत्ते और मुल्तानी मिट्टी से गुलाल और नेचुरल रंगों को तैयार किया जा रहा है. गुलाल बनाने के लिए आरारोट पाउडर के साथ प्राकृतिक रंगों के अर्क को मिलाया जा रहा है. इसमें चुकंदर से गुलाबी रंग, पालक के रस से हरा रंग, हल्दी और गेंदा का रस निकालकर पीला रंग बनाया जा रहा है.
होली का त्योहार करीब है, जिसके चलते बाजार में रंग और गुलाल की रौनक दिखाई दे रही है. रांची में विभिन्न फलों के पल्प, पान के पत्ते और मुल्तानी मिट्टी से गुलाल और नेचुरल रंगों को तैयार किया जा रहा है. जिसे लगाने से स्कीन पर किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होगा. देशभर में ऑर्गेनिक गुलाल की डिमांड बढ़ती जा रही है. दिल्ली की एक कंपनी से 5 लाख से ज्यादा का ऑर्डर गांव की महिलाओं को मिला है.
शहर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तुपुदाना के साई मंदिर के पास काफी सस्ते में हर्बल रंग और गुलाल मिल जाएंगे. रांची के कारोबारी अंशुल गुप्ता ने पांच साल पहले फल, फूल, पान के पत्तो और मुल्तानी मिट्टी से रंग और गुलाल बनाना शुरू किया, जिसमें स्थानीय महिलाओं की बहुत ज्यादा भागीदारी रही.
गांव की महिलाएं तैयार कर रही हैं सस्ते नेचुरल कलर
स्थानीय महिलाओं के इस के कारोबार से जुड़ने की वजह से अंशुल गुप्ता को लोकल फूल मिलने में काफी सहूलियत हुई. जब उनका कारोबार बढ़ा तो अब रंग-गुलाल बनाने के लिए मशीनें भी लगा ली गयी हैं, जिसके वजह से उत्पादन काफी बढ़ गया है. एक समय में कभी केवल रांची के बाजार में बिकने वाला रंग और गुलाल अब हरियाणा, दिल्ली और पंजाब जैसे राज्यों में भी बेची जा रही है.
रोजगार मिलने से गांव की महिलाएं बेहद खुश हैं
गांव की महिलाओं द्वारा हर्बल गुलाल और रंग बनाया जा रहा है. खास बात ये है हर्बल रंग सब्जियों और फलों से बनाए जा रहे हैं. इससे स्कीन को कोई नुकसान नहीं होगा. गुलाल बनाने के लिए आरारोट पाउडर के साथ प्राकृतिक रंगों के अर्क को मिलाया जा रहा है. इसमें चुकंदर से गुलाबी रंग, पालक के रस से हरा रंग, हल्दी और गेंदा का रस निकालकर पीला रंग बनाया जा रहा है.

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