
पीएम मोदी खड़े थे, रिटर्निंग अफसर बैठे थे... जानें- किसी भी उम्मीदवार के सामने क्यों नहीं खड़े होते RO?
AajTak
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार वाराणसी सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं. उन्होंने मंगलवार को वाराणसी से नामांकन पत्र दाखिल किया. इस दौरान पीएम मोदी खड़े थे, जबकि रिटर्निंग ऑफिसर बैठे हुए थे. ऐसे में जानते हैं कि क्यों रिटर्निंग ऑफिसर किसी भी उम्मीदवार के सामने खड़े नहीं होते?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी लोकसभा सीट से नामांकन पत्र दाखिल किया. पीएम मोदी तीसरी बार वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं.
इससे पहले पीएम मोदी ने काल भैरव के दर्शन किए और दशाश्वमेध घाट पर पूजा की. पीएम मोदी जब नामांकन दाखिल करने पहुंचे, तब उनके साथ गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सीएम योगी आदित्यनाथ समेत तमाम बड़े नेता भी मौजूद रहे.
लेकिन क्या इस तस्वीर पर गौर किया कि नामांकन पत्र दाखिल करते वक्त पीएम मोदी तो खड़े थे, लेकिन रिटर्निंग ऑफिसर कुर्सी पर ही बैठे रहे. हालांकि, सिर्फ पीएम मोदी ही नहीं, बल्कि कोई भी उम्मीदवार हो, रिटर्निंग ऑफिसर बैठे ही रहते हैं. दरअसल, ये एक प्रोटोकॉल होता है. नामांकन करने कितना ही बड़ा नेता क्यों न आ जाए, उनके सम्मान में रिटर्निंग ऑफिसर खड़ा नहीं हो सकता.
खड़े क्यों नहीं होते रिटर्निंग ऑफिसर?
चुनाव के दौरान रिटर्निंग ऑफिसर उस जिले का मुख्य चुनाव अधिकारी होता है. और कोई भी व्यक्ति एक उम्मीदवार की हैसियत से नामांकन करने आया होता है, फिर चाहे वो प्रधानमंत्री ही क्यों न हों, इसलिए रिटर्निंग ऑफिसर बैठे रहते हैं.
रिटर्निंग ऑफिसर एकमात्र 'लीगल अथॉरिटी' होता है और उनपर कोई भी आदेश नहीं चला सकता. प्रोटोकॉल के कारण नामांकन प्रक्रिया के दौरान रिटर्निंग ऑफिसर अपनी कुर्सी पर बैठे रहते हैं.

जम्मू-कश्मीर के 711 अग्निवीर आज भारतीय सेना का हिस्सा बन गए हैं. श्रीनगर स्थित जम्मू कश्मीर लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट सेंटर में इन्हें कठोर प्रशिक्षण दिया गया, जिसके बाद ये अग्निवीर देश की सुरक्षा के लिए सीमाओं पर तैनात होंगे. इससे न केवल भारतीय सेना की क्षमता में वृद्धि हुई है, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा भी मजबूत हुई है.

देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने शुक्रवार को अपने एक साल का सफर तय कर लिया है. संयोग से इस समय महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों के चुनाव चल रहे हैं, जिसे लेकर त्रिमूर्ति गठबंधन के तीनों प्रमुखों के बीच सियासी टसल जारी है. ऐसे में सबसे ज्यादा चुनौती एकनाथ शिंदे के साथ उन्हें बीजेपी के साथ-साथ उद्धव ठाकरे से भी अपने नेताओं को बचाए रखने की है.

नो-फ्रिल्स, जीरो कर्ज, एक ही तरह के जहाज के साथ इंडिगो आज भी खड़ी है. लेकिन नए FDTL नियमों और बढ़ते खर्च से उसकी पुरानी ताकत पर सवाल उठ रहे हैं. एयर इंडिया को टाटा ने नया जीवन दिया है, लेकिन अभी लंबी दौड़ बाकी है. स्पाइसजेट लंगड़ाती चल रही है. अकासा नया दांव लगा रही है. इसलिए भारत का आसमान जितना चमकदार दिखता है, एयरलाइन कंपनियों के लिए उतना ही खतरनाक साबित होता है.










