पीएफआई मनी लॉन्ड्रिंग केस: ईडी की चार्जशीट पर सीबीआई कोर्ट ने लिया संज्ञान, प्रॉडक्शन वॉरंट जारी
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ईडी का आरोप है कि पीएफआई के सदस्यों ने संगठन के लिए गलत तरीके से नकद चंदा जुटाया था. पीएफआई के इन आरोपी सदस्यों ने अज्ञात और संदिग्ध स्रोतों के जरिए पीएफआई की बेहिसाब नकदी को बेदाग और वैध रूप में दिखाने की कोशिश की थी. सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को 16 दिसंबर को अदालत के समक्ष पेश होने को कहा है.
सीबीआई की विशेष अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किए गए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के सदस्यों के खिलाफ ईडी की चार्जशीट पर सोमवार को संज्ञान लिया. एडिशनल सेशंस जज (एएसजे) शैलेंद्र मलिक ने सभी गिरफ्तार आरोपियों को प्रॉडक्शन वॉरंट जारी करते हुए उन्हें 16 दिसंबर को अदालत के समक्ष पेश होने को कहा है. सभी आरोपी फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं.
अदालत ने हिंसा का हवाला देते हुए कहा कि पीएफआई के फंड का इस्तेमाल गैरकानूनी गतिविधियों के लिए किया गया. यह हिंसा फरवरी 2020 में उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुई थी.
चार्जशीट में पीएफआई दिल्ली के अध्यक्ष परवेज अहमद, पीएफआई दिल्ली के महासचिव मोहम्मद इलियास और ऑफिस सेक्रेटरी अब्दुल मुकीत का नाम शामिल है.
ईडी के मुताबिक, आरोपियों का कहना है कि उन्होंने पीएफआई की ओर से बोगस नगद डोनेशन में अहम भूमिका निभाई थी. इसके साथ ही अज्ञात और संदिग्ध स्रोतों से इकट्ठा किए गए पीएफआई के फंड को वैध ठहराने में उनकी अहम भूमिका थी.
विदेशों से इकट्ठा धन को गुप्त तरीके से भारत भेजा गया
ईडी की ओर से पेश वकील ने कहा कि पीएमएलए जांच से पता चला है कि बीते कई सालों में पीएफआई के अधिकारियों की साजिश के तहत पीएफआई और उसकी संबंधित इकाइयों ने देश और विदेशों में बेतहाशा धन जुटाया. बीते कई सालों में विदेशों में जुटाए गए धन को गुप्त तरीके से भारत भेजा गया और भारत के बैंक खातों में जमा कराया गया.
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