
पहलगाम अटैक से 21,000 करोड़ दांव पर, बेपटरी हो सकती है कश्मीर की तरक्की... ये 10 नुकसान
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Pahalgam Terror Attack: अभी तक जम्मू और कश्मीर की आर्थिक प्रगति मजबूत रही है. 2024-25 के लिए इसकी रीयल GSDP 7.06% की दर से बढ़ने का अनुमान है, जबकि नॉमिनल GSDP ₹2.65 लाख करोड़ होने का अनुमान है, जो निरंतर तरक्की का संकेत है. 2019 और 2025 के बीच, केंद्र शासित प्रदेश ने 4.89% का CAGR भी दर्ज किया है.
22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में आतंकी अटैक (Pahalgam Terror Attack) ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. कल्पना भी नहीं की जा सकती थी कि जहां हर साल लाखों पर्यटक अपनी फैमिली के साथ छुट्टियां मनाने और जिंदगी की कुछ खूबसूरत यादें जोड़ने जाते हैं, वहां कुछ ऐसा भी हो जाएगा. आतंकवादियों ने 26 लोगों को पहचान पूछकर मार डाला. जान गवांने वालों में ज्यादातर पर्यटक ही थे.
किसी की हाल ही में शादी हुई थी, तो कोई पैसे जुटाकर अपने फैमिली के साथ उस डेस्टिनेशन पर खुशी के पल बिताने गया था, लेकिन उन्हें इन डरपोक आतंकवादियों के हमले (Terrorist Attack in J&K) का जरा भी इल्म नहीं था. इस घटना का आक्रोश जम्मू-कश्मीर से लेकर पूरे देश में है. लोगों का गुस्सा पाकिस्तान पर फूट रहा है. सोशल मीडिया से पूरी दुनिया तक में पाकिस्तान की इस करतूत की थू-थू हो रही है.
सरकार ने लिए कड़े फैसले भारत सरकार ने पाकिस्तान की इस हरकत पर कड़े फैसले लिए हैं. बुधवार को PM मोदी की अध्यक्षता में हुई सीसीएस की बैठक में भारत ने सिंधु जल समझौते को तत्काल प्रभाव से रोक देने का फैसला लिया है. साथ ही पाकिस्तान में भारतीय दूतावास बंद कर दिया गया है और ऑटारी बॉर्डर भी सील कर दिए गए हैं. पाकिस्तानी राजनयिकों को 48 घंटे में देश छोड़ने का आदेश भी दिया है.
तरक्की की पटरी पर था कश्मीर इस आतंकी हमले से ये तो साफ है कि पाकिस्तान को इसका करारा जवाब मिलेगा, लेकिन धारा 370 हटने के बाद से J&K में अमन और शांति लौट आई थी, उसपर ग्रहण लगाता हुआ नजर आ रहा है. जो टूरिज्म इंडस्ट्री वहां तेजी से फैल रही थी, अब उस इंडस्ट्री को बड़ झटका लगा है. लोगों के अंदर कश्मीर जाने को लेकर एक डर पैदा हो गया है.
हमले से इन सेक्टर्स पर होगा गहरा असर! इस हमले का असर कश्मीर के सभी सेक्टर्स पर पड़ सकता है. खासकर पर्यटन पर ज्यादा प्रभाव दिखाई दे सकता है. वहां पर होटल, कंपनी खोलने और फल का व्यापार करने का इरादा रखने वाले निवेशकों का विश्वास हिल सकता है. इससे सालों की मेहनत के बाद वापस स्थिर हुई कश्मीर की आर्थिक प्रगति पटरी से उतर सकती है. इतना ही नहीं, कश्मीर के लोगों की इनकम पर भी गहरा असर दिखाई पड़ सकता है.

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