
नोबेल शांति पुरस्कार तो छूटा, लेकिन क्या अब ट्रंप स्वीकार करेंगे जर्मनी के एक जिले का नागरिक सम्मान?
AajTak
एक तरफ यूरोप और अमेरिका में दूरियां दिख रही हैं, दूसरी तरफ यूरोपीय देश जर्मनी का एक जिला डोनाल्ड ट्रंप को नागरिकता देने पर विचार कर रहा है. इस जिले पर धुर-दक्षिणपंथी दल का असर है. ऐसे में ट्रंप को नागरिकता मिलने का मतलब गहरा होगा. दक्षिणपंथी पार्टी इस कदम को अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ अपनी वैचारिक निकटता दिखाने के लिए इस्तेमाल कर सकती है.
डोनाल्ड ट्रंप के दादा-दादी 19वीं सदी के आखिर में जर्मनी के एक जिले से निकलकर अमेरिका पहुंचे और अब उनका पोता अमेरिकी राष्ट्रपति है. ट्रंप कई बार जर्मनी से अपनी पारिवारिक निकटता भी जता चुके. अब, जबकि यूरोप में यूएस से दूरी दिख रही है, ऐसे में जर्मनी का एक हिस्सा ट्रंप को मानद नागरिकता देने की बात कर रहा है. जानिए, इससे क्या बदलेगा.
जर्मनी की राजनीतिक पार्टी ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) ने ऐसा प्रस्ताव रखा है. दरअसल, दक्षिण-पश्चिम हिस्से में बाड डुर्कहाइम नाम का एक जिला है. इसी का एक छोटा-सा गांव है कैलश्टाट, जिसका ट्रंप कनेक्शन है. दल ने अपने प्रपोजल के पीछे सोच ये दी कि ट्रंप की वजह से इजरायल और हमास के बीच जंग रुकी और कई जर्मन बंधक भी छोड़े गए.
फिलहाल जिले के लीडर ने इस प्रस्ताव पर हामी भर दी. अब महीने के आखिर में इसपर चर्चा होगी और तय हो सकेगा कि आगे क्या हो सकता है.
देश के दक्षिण-पश्चिम कैलश्टाट नाम के गांव में ट्रंप के दादा फ्रेडरिक ट्रंप का जन्म हुआ था. ये जर्मन नागरिक बहुत कम उम्र में रोजगार की खोज में अमेरिका पहुंचा. ये बात है साल 1885 के आसपास की. वहां जाकर वे छोटे-मोटे काम करते रहे. कुछ सालों बाद वे वापस लौटे और शादी के बाद पत्नी यानी ट्रंप की दादी समेत दोबारा अमेरिका चले गए और वहीं बस गए. यहां फ्रेडरिक ने पहले होटल चलाया और बाद में रियल एस्टेट बिजनेस में कदम रखा. धीरे-धीरे कारोबार ऐसा जमा कि यही ट्रंप परिवार की पहचान बन गया.
शुरुआत में ट्रंप ने अपने जर्मन मूल का जिक्र बहुत कम किया. वे कहते रहे कि उनका परिवार स्वीडन से है. शायद ऐसा इस वजह से था कि दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद अमेरिका में जर्मन विरोधी भावना काफी थी, इसलिए उन्होंने अपनी जर्मन जड़ों को सार्वजनिक तौर पर नहीं उछाला.
बाद में जब उनकी पहचान एक बड़े बिजनेसमैन के तौर पर स्थापित हो गई तब उन्होंने कहना शुरू किया कि मेरी फैमिली जर्मनी से आई है. हालांकि ये कहते हुए वे कभी इमोशनल नहीं दिखे, न ही कभी जर्मनी के अपने पारिवारिक गांव गए. हालांकि उनके कई रिश्तेदार अब भी वहीं बसे हुए हैं. पहली बार राष्ट्रपति बनने पर गांव से कई चेहरे आए, जिन्होंने ट्रंप से अपने रिश्तों की बात की.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की खास बातचीत में आतंकवाद विषय पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए गए. इस बातचीत में पुतिन ने साफ कहा कि आतंकवादियों का समर्थन नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि यदि आजादी के लिए लड़ना है तो वह कानून के दायरे में होना चाहिए. पुतिन ने ये भी बताया कि आतंकवाद से लड़ाई में रूस भारत के साथ मजबूती से खड़ा है.

जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'पंद्रह साल पहले, 2010 में, हमारी साझेदारी को स्पेशल प्रिविलेज्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का दर्जा दिया गया था. पिछले ढाई दशकों में राष्ट्रपति पुतिन ने अपने नेतृत्व और विजन से इस रिश्ते को लगातार आगे बढ़ाया है. हर परिस्थिति में उनके नेतृत्व ने हमारे संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ ग्लोबल सुपर एक्सक्लूसिव बातचीत की. आजतक से बातचीत में राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि मैं आज जो इतना बड़ा नेता बना हूं उसके पीछे मेरा परिवार है. जिस परिवार में मेरा जन्म हुआ जिनके बीच मैं पला-बढ़ा मुझे लगता है कि इन सब ने मिलाकर मुझे वो बनाया है जो आज मैं हूं.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के साथ खास बातचीत में बताया कि भारत-रूस के संबंध मजबूत होने में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महत्वपूर्ण योगदान है. पुतिन ने कहा कि वे पीएम मोदी के साथ काम कर रहे हैं और उनके दोस्ताना संबंध हैं. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत को प्रधानमंत्री मोदी के साथ काम करने पर गर्व है और वे उम्मीद करते हैं कि मोदी नाराज़ नहीं होंगे.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक खास बातचीत की गई है जिसमें उन्होंने रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी की क्षमता और विश्व की सबसे अच्छी एजेंसी के बारे में अपने विचार साझा किए हैं. पुतिन ने कहा कि रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी अच्छा काम कर रही है और उन्होंने विश्व की अन्य प्रमुख एजेंसियों की तुलना में अपनी एजेंसी की क्षमता पर गर्व जताया.








