नीतीश कुमार का नेशनल ड्रीम बीजेपी से ज्यादा INDIA गठबंधन के लिए सिरदर्द कैसे?
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लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार यूपी से लेकर झारखंड तक रैलियों की रणनीति बना रहे हैं तो वहीं बात उनके नेशनल ड्रीम को लेकर भी हो रही है. नीतीश कुमार का नेशनल ड्रीम इंडिया गठबंधन के लिए सिरदर्द कैसे है?
2024 के आम चुनाव का सेमीफाइनल माने जा रहे पांच राज्यों में चुनाव का शोर थम चुका है, नतीजे आ चुके हैं और नई सरकार का गठन भी हो चुका है. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत पांच राज्यों का चुनावी शोर थमने के साथ ही अब फाइनल मुकाबले यानी लोकसभा चुनाव को लेकर सियासत की पिच तैयार होने लगी है. विपक्षी इंडिया गठबंधन के घटक दल भी अब एक्टिव मोड में आ गए हैं.
इंडिया गठबंधन की दिल्ली में बैठक होनी है और इस बैठक में अब 24 घंटे से भी कम समय बचा है. बैठक के लिए दिल्ली में विपक्षी नेताओं की जुटान भी शुरू हो गई है. विपक्ष की इस बैठक में चुनौतियां कई हैं लेकिन उन चुनौतियों से इतर विपक्षी एकजुटता की कवायद के कर्णधार नीतीश कुमार भी खासे एक्टिव नजर आ रहे हैं.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2024 चुनाव के लिए विपक्ष के अभियान का आगाज करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी को चुना था. वाराणसी में नीतीश की रैली 24 दिसंबर को होनी थी जो अब रद्द हो चुकी है. नीतीश जनवरी में झारखंड में भी रैली करने वाले हैं.
वाराणसी रैली भले ही रद्द हो गई हो, यूपी और झारखंड में बिहार के सीएम की रैली के सियासी मायने तलाशे जा रहे हैं. पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में नीतीश की रैली भले ही रद्द हो गई हो, इसे नीतीश कुमार की ओर से खुद को पीएम मोदी के समकक्ष खड़ा करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.
यूपी पर भी नीतीश की पार्टी की नजर
नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू की एक इमेज पटेल (कुर्मी) बिरादरी की पार्टी वाली भी है. नीतीश कुमार खुद भी इसी जाति से आते हैं. नीतीश की रैली वाराणसी में जिस जगह होनी थी, वह भी पटेल बाहुल्य इलाका ही है. नीतीश की रैली जगतपुर में होनी थी जो रोहनिया विधानसभा क्षेत्र में आता है और रोहनिया सीट से केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल भी विधायक रह चुकी हैं. अब नीतीश की सियासी मंशा को लेकर भी बात हो रही है.
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