नवनीत राणा-उमर खालिद-शरजील इमाम... राजद्रोह कानून पर रोक के बाद लंबित मामलों में क्या होगा?
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सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. केंद्र सरकार ने कहा था कि इस कानून पर पुनर्विचार किया जा रहा है, लेकिन रोक न लगाई जाए. जबकि याचिकाकर्ता तत्काल रोक की मांग कर रहे थे. अब कोर्ट ने रोक लगा दी है, जिससे जेल में बंद लोगों के लिए उम्मीद जगी है.
राजद्रोह कानून (Sedition Law) की वैधता पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इस कानून की समीक्षा पूरी होने तक कोई नया केस दर्ज नहीं होगा. कोर्ट ने पहले से दर्ज मामलों की सुनवाई पर भी रोक लगा दी है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि जो लोग इस कानून के तहत जेल में बंद हैं वो जमानत के लिए अपील कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए ये भी कहा है कि इस कानून का गलत इस्तेमाल हुआ है और देश के नागरिकों के अधिकार की रक्षा जरूरी है.
कोर्ट का ये आदेश उन लोगों के लिए राहत के तौर पर देखा जा रहा है जो राजद्रोह के आरोप में जेल में बंद हैं. साथ ही उन लोगों के लिए भी जिनके खिलाफ राजद्रोह के केस लगाए गए हैं. लेकिन क्या राजद्रोह कानून पर रोक लगने से ही ऐसे लोग जेल से बाहर आ जाएंगे या फिर उन्हें केस से राहत मिल जाएगी?
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का मतलब यह नहीं है कि वर्तमान में जेल में बंद आरोपी को अब रिहा कर दिया जाएगा क्योंकि केवल राजद्रोह कानून पर रोक लगाई गई है और सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि इन आरोपियों के खिलाफ कानून की अन्य धाराओं के तहत कार्यवाही जारी रहेगी. वे जमानत के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटा सकते हैं. लिहाजा, अब ये उस कोर्ट पर निर्भर करेगा जहां जमानत की अर्जी लगाई जाएगी या अर्जी लंबित है.
सीनियर एडवोकेट संजय हेगड़े ने इंडिया टुडे को बताया कि, "अदालत ने प्रभावी रूप से कानून को स्थगित कर दिया है. राज्यों को सलाह जारी की जाएगी, कोई नया मामला दर्ज नहीं किया जाएगा. जो लोग जेल में हैं वो राहत के लिए उपयुक्त अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं, जहां अदालतों को फैसला करना होगा."
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने बताया है कि इस तरह के 800 से ज्यादा केस लंबित हैं.
नवनीत राणा के वकील ने किया स्वागत
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