नरेश सिंह भोक्ता के अपहरण और हत्या के मामले में 9वें आरोपी के खिलाफ NIA की चार्जशीट दाखिल
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Naresh Singh Bhokta kidnapping murder case: केंद्रीय एजेंसी ने मंगलवार को बिहार के औरंगाबाद जिले के आरोपी गोरा यादव उर्फ अनिल यादव उर्फ गोल्डन जी उर्फ बलवीर के खिलाफ आईपीसी, शस्त्र अधिनियम और यूएपीए (UAPA) की विभिन्न धाराओं के तहत अपना तीसरा पूरक आरोप पत्र दायर किया है.
Naresh Singh Bhokta kidnapping murder case: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने बिहार के नरेश सिंह भोक्ता अपहरण और नृशंस हत्या से संबंधित मामले में मंगलवार को एक और आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है. साल 2018 में पुलिस मुखबिर होने के शक में सीपीआई (माओवादी) कैडरों ने नरेश सिंह भोक्ता को अगवा कर उसकी बेरहमी से हत्या कर दी थी. इससे मामले में नामजद आरोपियों की संख्या नौ हो गई है.
केंद्रीय एजेंसी ने मंगलवार को बिहार के औरंगाबाद जिले के आरोपी गोरा यादव उर्फ अनिल यादव उर्फ गोल्डन जी उर्फ बलवीर के खिलाफ आईपीसी, शस्त्र अधिनियम और यूएपीए (UAPA) की विभिन्न धाराओं के तहत अपना तीसरा पूरक आरोप पत्र दायर किया है. एनआईए ने 4 अगस्त 2023 को गोरा यादव को नृशंस हत्या में सीधे तौर पर शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया था. वह एक खूंखार नक्सली कैडर पाया गया, जिसके खिलाफ औरंगाबाद और गया जिलों के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में 18 मामले दर्ज थे.
शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) के कैडरों ने नरेश सिंह का अपहरण कर लिया था. उन्हें औरंगाबाद क्षेत्र में एक तथाकथित जन अदालत में ले जाया गया था, जहां सीपीआई (माओवादी) के सब-जोनल कमांडर नवल भुइया के नेतृत्व में कंगारू कोर्ट ने उनकी हत्या का आदेश दिया था. 2 नवंबर 2018 की रात बधाई बिगहा गांव के पास नरेश सिंह भोक्ता की हत्या कर दी गई थी.
एनआईए ने इस मामले में 24 जून 2022 से जांच शुरू की थी. NIA ने जांच में पाया कि आरोपी गोरा यादव उर्फ अनिल यादव, विनय यादव उर्फ गुरुजी, नवल भुइया उर्फ अर्जुन भुइया, जिलेबिया यादव उर्फ विनय कुमार यादव, रामप्रसाद यादव, अभिजीत यादव, सूबेदार यादव, अभ्यास भुइया और अन्य ने अंजनवा (गया) के जंगल में एक अहम बैठक में भाग लिया था. आरोपी प्रमोद मिश्रा (तत्कालीन सीसीएम) ने जो बैठक बुलाई थी, उसी में नरेश सिंह भोक्ता सहित एसपीओ को खत्म करने का फैसला लिया गया था.
एनआईए को जांच से पता चला कि गोरा यादव सीपीआई (माओवादी) का सदस्य था और संगठन के एसएसी सदस्य संदीप यादव का 'बॉडी कवर' (अंगरक्षक) था. उसने अपने सह-अभियुक्तों के साथ मिलकर आम लोगों की हत्या करके लोगों और समाज के एक वर्ग में आतंक पैदा करने की कोशिश की थी.
जांच के दौरान, एनआईए ने इस क्रूर हत्या के पीछे की साजिश में पोलित ब्यूरो सदस्य प्रमोद मिश्रा सहित शीर्ष सीपीआई (माओवादी) कमांडरों की संलिप्तता का खुलासा किया, जो राज्य के ख़िलाफ़ 'पीपुल्स वार' की झूठी विचारधारा का प्रचार करते हुए आम लोगों को आतंकित करने के लिए प्रतिबद्ध थे.