धर्म के प्रति जनता के मन में कितनी गहरी छाप, Research के आंकड़ों से समझें
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क्या आपने कभी सोचा कि जब समस्या बिजली, पानी, सड़क, अस्पताल, खेती-किसानी, रोजगार, महंगाई की है. जब इन्हीं समस्या में आम आदमी उलझा रहता है तो राजनीति धर्म के आधार पर बांटने की कैसे संभव हो पाती है. इसका जवाब है धर्म के प्रति जनता के मन में गहरी छाप. अमेरिकी प्यू रिसर्च सेंटर के आंकड़ों को देखते हैं जवाब आप समझ पाएंगे. हिंदुओं में 64 फीसदी और मुस्लिमों में 61 फीसदी लोगों की राय है कि धार्मिक मसलों पर राजनेताओं का थोड़ा या बहुत ज्यादा प्रभाव रहना ही चाहिए. 59 फीसदी ग्रैजुएट भारतीय भी मानते हैं कि धार्मिक मामलों में राजनेताओं की दखल होनी चाहिए. 66 फीसदी हिंदुओं की राय है कि उनका धर्म एकदम अलग है, ठीक इसी तरह 64 फीसदी मुस्लिम भी अपने संप्रदाय को दूसरों से पूरी तरह अलग मानते हैं.
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