देश में गर्मी का प्रकोप जारी, कई शहरों में 44-45 डिग्री तक चढ़ा पारा
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लगातार बढ़ती गर्मी के आंकड़े एक फिर जलवायु परिवर्तन के परिणामों और इसकी वजह से हो रहे बदलावों की ओर ध्यान दिलाते हैं. सामान्य से अधिक तापमान पानी की गंभीर कमी का कारण बन सकता है, कृषि को प्रभावित कर सकता है और विशेष रूप से घनी आबादी वाले क्षेत्रों में महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकता है. अब इन क्षेत्रों में गर्मी से निपटने की चुनौती है.
मई का पहला सप्ताह है और इसी के साथ गर्मी भी अपने चरम पर पहुंच रही है. रविवार का दिन काफी तपिश भरा रहा और देशभर में लोगों को चिलचिलाती गर्मी झेलनी पड़ी और अधिकतम तापमान में बड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई. तेलंगाना, रायलसीमा, विदर्भ, उत्तरी कर्नाटक और उत्तरी मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में तापमान 44-45 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया गया. गर्मी में यह वृद्धि इन क्षेत्रों के अलग-अलग हिस्सों में देखी गई.
देश में गर्मी अब गंभीर स्तर पर इसके अलावा, मराठवाड़ा, दक्षिण-पूर्व उत्तर प्रदेश, उत्तर-पूर्व मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तरी ओडिशा, गंगा के तटवर्ती पश्चिम बंगाल, झारखंड, तमिलनाडु और तटीय आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में गर्मी की यही स्थिति रही. यहां, अधिकतम तापमान 42-44 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा और यह तापमान का यह आंकड़ा बताता है कि, देश में गर्मी अब गंभीर स्तर पर है.
स्वास्थ्य और खेती दोनों के लिए बुरा असर भारतीय मौसम विभाग ने बताया कि ये आंकड़े सिर्फ औसत से ऊपर नहीं थे, बल्कि काफी अधिक हैं. गंगीय पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में, रिकॉर्ड किया गया तापमान सामान्य सीमा से 4-7 डिग्री सेल्सियस तक ऊपर था. इतने बढ़े तापमान के कारण मानव स्वास्थ्य और खेती-फसलों की उत्पादकता दोनों पर हानिकारक असर पड़ने का अनुमान है. इसी तरह, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना, रायलसीमा, तमिलनाडु के प्रमुख क्षेत्रों में तापमान सामान्य से 2-5 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया. यहां तक कि केरल और माहे, आंतरिक कर्नाटक, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड के अलग-अलग हिस्सों में भी, गर्मी असहनीय रही. यहां भी तापमान सामान्य से 2-5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा.
गर्मी से निपटने की चुनौती इस तरह लगातार बढ़ती गर्मी के आंकड़े एक फिर जलवायु परिवर्तन के परिणामों और इसकी वजह से हो रहे बदलावों की ओर ध्यान दिलाते हैं. सामान्य से अधिक तापमान पानी की गंभीर कमी का कारण बन सकता है, कृषि को प्रभावित कर सकता है और विशेष रूप से घनी आबादी वाले क्षेत्रों में महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकता है. अब इन क्षेत्रों में गर्मी से निपटने की चुनौती है.
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