
दीवाली के बाद घुटने लगती है 'दिल्ली', क्यों बेअसर होता है सुप्रीम कोर्ट ग्रीन पटाखों का आदेश?
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हर साल दीवाली पर रोशनी के साथ दिल्ली पर चढ़ता है धुएं का साया. रात भर चमकते पटाखे अगले कई दिनों तक शहर की सांसें रोक देते हैं. सुप्रीम कोर्ट के ग्रीन पटाखों वाले आदेश के बावजूद हालात नहीं बदले क्योंकि दिल्ली की हवा सिर्फ पटाखों से नहीं, खेतों की आग और ठंडी हवाओं के जाल में फंसकर और ज़्यादा जहरीली हो जाती है.
हर साल दीवाली पर दिल्ली सिर्फ रोशनी और पटाखों के लिए नहीं, बल्कि उसके बाद आने वाले धुंध और दमघोंटू स्मॉग के लिए भी तैयार रहती है. सुप्रीम कोर्ट ने 15 अक्टूबर को अपने पुराने आदेश में थोड़ी ढील दी और नेशनल कैपिटल रीजन (NCR) में ग्रीन पटाखे बेचने और चलाने की अनुमति दे दी है. हालांकि, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए पटाखों की बिक्री पर अब भी रोक है. फिर भी सच्चाई ये है कि ये पाबंदियां भी पटाखों को नहीं रोक पाईं और नतीजा वही होता है, हर साल दिवाली बाद दिल्ली का दम घुटता है.
जरूरत से ज्यादा बढ़ता है हवा में जहर
2021 में दिल्ली ने अपनी सबसे खराब दीवाली देखी थी. उस रात हवा में PM2.5 (सूक्ष्म कण) की मात्रा 744 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (µg/m3) तक पहुंच गई जो भारत की सुरक्षित सीमा से करीब 12 गुना ज़्यादा थी. ये बेहद बारीक कण हैं जो सांस के ज़रिए सीधे फेफड़ों और ब्लडस्ट्रीम में चले जाते हैं.
2024 में जब हवा की रफ्तार थोड़ी बेहतर थी और सर्दी हल्की, तब भी दीवाली की रात ये स्तर 600 µg/m3 से ऊपर रहा. सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के लगातार मॉनिटरिंग सिस्टम के मुताबिक रात 10 बजे से 2 बजे के बीच प्रदूषण सबसे ज्यादा बढ़ता है, जब पटाखों की आवाज़ और धुआं दोनों अपने चरम पर होते हैं.
रात के बाद ये स्तर थोड़ा घटता है, लेकिन बहुत धीरे. दिल्ली की भौगोलिक स्थिति और मौसम प्रदूषित हवा को जमीन के पास फंसा देता है. नतीजा, दीवाली के बाद का पूरा हफ्ता, पहले हफ्ते से कहीं ज्यादा खराब हवा झेलता है.
खेतों में आग भी वजह

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