
'दिवालिया कर देगी पुरानी पेंशन योजना', आखिर क्या है OPS और NPS में अंतर?
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योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक अहलूवालिया ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना (OPS) को लागू करने के लिए विभिन्न राज्य सरकारों का कदम 'बेतुका' है. पुरानी पेंशन योजना आने वाले समय में वित्तीय दिवालियापन का बड़ा कारण बनेगी.
पुरानी पेंशन योजना (OPS) को गैर-बीजेपी शासित राज्यों ने खूब हवा दी है. हाल में पूरे हुए हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने पुरानी पेंशन योजना को बड़ा मुद्दा बनाया था और सरकार बनने पर इसे लागू करने का वादा किया था. लेकिन राज्य सरकारों के लिए भी बड़ी चुनौती फंड की है, क्योंकि इससे लागू करने से सरकार के खजाने पर भारी बोझ बढ़ेगा. पुरानी पेंशन योजना पर अब योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया (Montek Singh Ahluwalia) ने बड़ा बयान दिया है.
दिवालियापन की रेसिपी
वित्त मंत्री निर्मला सीतरमण की मौजूदगी में मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि कुछ राज्य सरकारों द्वारा पुरानी पेंशन योजना को फिर से शुरू करना वित्तीय दिवालियापन की रेसिपी है. उन्होंने कहा कि मैं निश्चित रूप से इस विचार से सहमत हूं कि यह कदम बेतुका है और वित्तीय दिवालियापन के लिए एक रेसिपी है.
इस कदम को आगे बढ़ाने वालों के लिए बड़ा फायदा यह है कि दिवालियापन 10 साल बाद आएगा. मोंटेक अहलूवालिया का मानना है कि सिस्टम को राजनीतिक दलों या सत्ता में बैठे दलों को उन नीतियों को अपनाने से रोकना चाहिए जो वित्तीय आपदा का कारण बन सकती हैं.
नई और पुरानी पेंशन योजना में अंतर
देश में 1 जनवरी 2004 से NPS यानी नई पेंशन स्कीम लागू है. दोनों पेंशन के कुछ फायदे और कुछ नुकसान भी हैं. पुरानी स्कीम के तहत रिटायरमेंट के वक्त कर्मचारी के वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है. क्योंकि पुरानी स्कीम में पेंशन का निर्धारण सरकारी कर्मचारी की आखिरी बेसिक सैलरी और महंगाई दर के आंकड़ों के अनुसार होता है. पुरानी पेंशन स्कीम में पेंशन के लिए कर्मचारियों के वेतन से कोई पैसा कटने का प्रावधान नहीं है. साथ ही. पुरानी पेंशन योजना में भुगतान सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से होता है.

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