
दिल्ली सीएम रेखा गुप्ता की आधिकारिक मीटिंग में पति की मौजूदगी पर सवाल तो बनता ही है
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दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की आधिकारिक मीटिंग में उनके पति मनीष गुप्ता की मौजूदगी ने राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है. आम आदमी पार्टी ने वाकये को पंचायत वेब सीरीज में फुलेरा गांव के प्रधान पति जैसी स्थिति करार दिया है, जहां पति सरकारी काम देख रहे हैं.
रेखा गुप्ता को जरा भी अंदाजा होता, तो तस्वीरें वो खुद नहीं शेयर करतीं. लेकिन, ये सब स्वाभाविक तौर कर कर दिया. क्योंकि, वो ऐसा ही करती आ रही थीं. ऐसे आरोप तो आम आदमी पार्टी की तरफ से पहले भी लगाए जाते रहे हैं, लेकिन सबूत अब सामने आया है.
आम आदमी पार्टी को तो बस मौका चाहिए था, रेखा गुप्ता ने अपने हाथों से ही दे दिया. मुख्यमंत्री की मीटिंग में अपने पति मनीष गुप्ता को बगल में बिठाया और सोशल मीडिया पर तस्वीर डाल दी है. मुद्दा ऐसा है कि रेखा गुप्ता के बचाव में सीधे आईटी सेल के हेड अमित मालवीय को उतरना पड़ा है.
अब विवाद हो रहा है, विवाद भी होना ही था. आम आदमी पार्टी के दिल्ली संयोजक सौरभ भारद्वाज की बाकी बातें अपनी जगह हैं, लेकिन इस वाकये से परिवारवाद को जोड़ना सहज नहीं लग रहा है. ये परिवारवाद की वो राजनीति नहीं है, जिसे लेकर बीजेपी, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमलावर देखे जाते हैं.
रेखा गुप्ता ने जिस तरह तस्वीरें शेयर की है, ये वर्क-लाइफ-बैलेंस का नमूना भी नहीं है. और, ये मामला महिला सशक्तीकरण जैसी बातों को भी मुंह चिढ़ाने वाला है. संस्कारों की भी बात होगी, तो संस्कार के प्रदर्शन की भी लक्ष्मण रेखा तय है. संस्कार तो ठीक हैं, लेकिन पारिवारिक संस्कार की हदें संविधान के मुहाने पर पहुंचते ही खत्म हो जाती हैं.
आम आदमी पार्टी ने कहा है कि दिल्ली में फुलेरा ग्राम पंचायत जैसी सरकार चल रही है. आम आदमी पार्टी ने कहा है कि दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के पति मनीष गुप्ता दिल्ली की सरकारी मीटिंग में हिस्सा ले रहेहैं. AAP ने इस मीटिंग से जुड़ी तस्वीरें भी एक्स पर जारी की है.
दिल्ली सरकार में मंत्री रह चुके सौरभ भारद्वाज ने सोशल साइट एक्स पर एक पोस्ट में लिखा है, दिल्ली सरकार फुलेरा पंचायत बन गई है. कहते हैं, जैसे फुलेरा की पंचायत में महिला प्रधान के पति प्रधान की तरह काम करते थे, आज दिल्ली में CM के पति आधिकारिक मीटिंग में बैठ रहे हैं... हमने पहले भी बताया था कि CM के पति आधिकारिक मीटिंग में बैठते हैं , अधिकारियों के साथ मीटिंग और इंस्पेक्शन करते हैं... ये पूरी तरह से असंवैधानिक है.

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