
दिल्ली: CM केजरीवाल और LG के बीच फिर छिड़ी रार, अधिकारी पर एक्शन को लेकर शुरू हुआ वार-पलटवार
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दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच फिर एक मामले को लेकर तनातनी सामने आई है. यह मामला एक अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई से जुड़ा है. मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से कहा गया है कि सीएम की सहमति के बिना यह एक्शन हुआ है.
राजधानी में एक बार फिर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल वीके सक्सेना के बीच रार छिड़ गई है. इस बार रस्साकशी एक अधिकारी पर की गई कार्रवाई को लेकर है. इस मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से दावा किया गया कि सीएम की सहमति के बिना ही एलडी ने एक अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर दी. सीएम ऑफिस के इस दावे के बाद अब एलजी दफ्तर की तरफ से सफाई जारी की गई है. इसमें कहा गया है कि सीएम ऑफिस से जो दावे किए जा रहे हैं, वह भ्रामक और आधे सच हैं.
एलजी सचिवालय के एक अधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री कार्यालय के आधिकारिक बयानों के रूप में झूठे और भ्रामक बयानों को जारी किया जाना चौंकाने वाला है. सीएम दफ्तर के दावे के विपरीत अध्यादेश के प्रभाव में आने के बाद पोस्टिंग या ट्रांसफर से संबंधित एक भी फाइल एलजी सचिवालय को नहीं मिली है. एलजी दफ्तर के अधिकारी ने आगे कहा कि जहां तक किसी अधिकारी के निलंबन का मामला है, प्राधिकरण (एनसीसीएसए) ने कानून के मुताबिक इसकी विधिवत सिफारिश की थी. इस बारे में सीएम एनसीसीएसए के अध्यक्ष के रूप में पूरी तरह से अवगत थे.
नियमों के उल्लंघन की दी गई दलील
अधिकारी ने कहा कि इसके अलावा एलजी किसी भी मामले में पिछले और मौजूदा कानूनों के मुताबिक ही अनुशासनात्मक प्राधिकारी भी हैं. उन्होंने आगे कहा कि निलंबन के जिस मामले के बारे में बात की जा रही है, वह नियमों के घोर उल्लंघन से संबंधित है. इसमें लोगों को अनुचित लाभ देने की कोशिश की गई है. एलजी दफ्तर की तरफ से सवाल किए गए कि क्या सीएम भ्रष्टाचारियों को बचाने और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं?
20 जून को केजरीवाल ने बुलाई बैठक
बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (NCCSA) के पदेन अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल ने 20 जून को प्राधिकरण की पहली बैठक बुलाई है. अधिकारियों का कहना है कि प्राधिकरण एक अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही पर चर्चा कर सकता है. हालांकि, इससे पहले कि एनसीसीएसए की पहली बैठक बुलाई जा सके, यह स्पष्ट हो गया है कि प्राधिकरण और कुछ नहीं बल्कि एक मॉक बॉडी है. क्योंकि सेवाओं से जुड़े कई प्रस्ताव सीएस द्वारा सीएम और एनसीसीएसए को दरकिनार कर सीधे एलजी को भेजे जा रहे हैं.

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