'दिल्ली जाकर खुद देख लें...', PM मोदी के दौरे से ठीक पहले क्यों बोला अमेरिका?
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी महीने अमेरिका के आधिकारिक दौरे पर जाने वाले हैं. इससे पहले अमेरिका ने भारत के लोकंतत्र की तारीफ की है. अमेरिका ने कहा है कि पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान दोनों देशों के संबंध और मजबूत होंगे.
ऐसे वक्त में जब रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर दुनिया दो ध्रुवों में बंटी दिख रही है, वैश्विक मंच पर भारत की धाक बढ़ती जा रही है. पीएम मोदी इसी महीने अमेरिका के दौरे पर जाने वाले हैं लेकिन उससे पहले अमेरिका ने भारत की और भारतीय लोकतंत्र की खुलकर तारीफ की है. अमेरिका ने भारत के लोकतंत्र की तारीफ करते हुए कहा कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र है. अमेरिका का कहना है कि अगर किसी को इसे देखना है तो वो खुद भी भारत जाकर इसे देख सकता है.
अमेरिका के इस बयान से ऐसा लगता है जैसे उसने भारत के लोकतंत्र को लेकर उठ रही चिंताओं को खारिज कर दिया है.
व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'भारत एक जीवंत लोकतंत्र है. अगर कोई इसे देखना चाहता है तो खुद दिल्ली जाकर देख सकता है. और निश्चित रूप से, मैं उम्मीद करता हूं कि लोकतांत्रिक संस्थानों की ताकत पर चर्चा होती रहनी चाहिए.'
भारत के लोकतंत्र पर उठते सवालों के जवाब में किर्बी ने कहा, 'देखिए, हम अपनी बात कहने से हिचकते नहीं हैं. और आप दोस्तों से खुलकर बात कर सकते हैं. दोस्तों के साथ आप ऐसा कर सकते हैं. दुनिया में किसी को लेकर भी अगर हमें कोई चिंता है तो हम उससे बात करने में हिचकते नहीं हैं. लेकिन यह यात्रा (पीएम मोदी की यात्रा) भारत-अमेरिका के मौजूदा संबंधों को और आगे ले जाने के लिए है. हमें उम्मीद है कि गहरी, मजबूत साझेदारी और दोस्ती आगे बढ़ेगी.'
किर्बी ने आगे कहा कि भारत कई स्तरों पर अमेरिका का मजबूत साझेदार है.
उन्होंने अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन के हालिया भारत दौरे का जिक्र करते हुए कहा, 'आपने देखा कि लॉयड ऑस्टिन ने अब कुछ अतिरिक्त रक्षा सहयोग की घोषणा की है जिसे हम भारत के साथ आगे बढ़ाने जा रहे हैं. भारत और अमेरिका के बीच काफी अधिक व्यापार है, इसमें कोई शक नहीं है. भारत पैसिफिक क्वाड का सदस्य है और इंडो-पैसिफिक सुरक्षा के लिए एक प्रमुख मित्र और भागीदार है.'
भारत में लोकसभा चुनाव की वोटिंग जारी है. इसी बीच अमेरिकी कांग्रेस के स्वतंत्र रिसर्च विंग की एक रिपोर्ट में सीएए पर टिप्पणी की गई है. सीएए को मार्च में लागू किया गया जिसे लेकर इसकी टाइमिंग पर सवाल उठाए जा रहे हैं. रिपोर्ट में आलोचकों के हवाले से कहा गया है कि भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है.