
दर्द, चीखें, आंसू और अंदर से उठने वाली हूक... पहलगाम में हमला और शहर शहर गम का सैलाब, रुला देंगी पीड़ितों की आपबीती
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पहलगाम के बैसरन घाटी में मंगलवार की दोपहर को जब आतंकियों ने चुन-चुन कर बेगुनाहों को मारना शुरू किया था, दिल को कचोट देने वाली तस्वीरें तभी से सामने आने लगी थीं. एक रोज ये आतंकी हमला भी तारीख के पन्नों में दर्ज होकर रह जाएगा, लेकिन इस आतंकी हमले की ये तस्वीरें कभी भुलाई नहीं जा सकेंगी.
पहलगाम अटैक... दर्द और तकलीफ की ऐसी कहानी है, जिसे बयान करते हुए भी शब्द चूक जाते हैं. किसी अपने को खोने का गम क्या होता है, ये हर कोई जानता है. और जब कोई अपना ऐसी किसी आतंकी वारदात में दर्दनाक तरीके से मारा जाए, तो उस तकलीफ की किसी और तकलीफ से तुलना नहीं हो सकती. जरा सोचिए पहलगाम में मारे गए उन लोगों के रिश्तेदारों पर क्या गुजरी होगी, जब उन्होंने अपनी आंखों के सामने अपनों को आतंकियों की गोली से मरते देखा होगा. यकीनन इस मंजर ने उन्हें तोड़ दिया होगा. फिर जब ये खबर उनके घर पहुंची होगी, तो फिर घर वालों पर क्या गुजरी होगी. तो आइए आपको दिखाते हैं पहलगाम से लेकर पुरुलिया तक दर्द की ऐसी ही 10 कहानियां.
पहलगाम के बैसरन घाटी में मंगलवार की दोपहर को जब आतंकियों ने चुन-चुन कर बेगुनाहों को मारना शुरू किया था, दिल को कचोट देने वाली तस्वीरें तभी से सामने आने लगी थीं. एक रोज ये आतंकी हमला भी तारीख के पन्नों में दर्ज होकर रह जाएगा, लेकिन इस आतंकी हमले की ये तस्वीरें कभी भुलाई नहीं जा सकेंगी.
इनमें कई तो ऐसे हैं जिनके अपने उनकी आंखों के सामने आतंकियों की गोलियों का शिकार बन गए, जो थोड़ी देर पहले तक हंस रहे थे, घूम रहे थे. एकाएक सबसे दूर चले गए. जबकि कई ऐसे हैं जिन्हें मौका-ए-वारदात से सैकड़ों मील दूर में आतंकी हमले में अपनों के खो जाने की खबर मिली. टीवी के पर्दे से लेकर सोशल मीडिया तक, दर्द और दहशत में डूबी न जाने ऐसी कितनी ही तस्वीरें हैं, जिन्हें देख कर कलेजा छलनी हो रहा है.
पुरुलिया के मनीष रंजन मिश्रा की दर्दनाक मौत पश्चिम बंगाल के पुरुलिया के रहने वाले मनीष रंजन मिश्रा एक होनहार आईबी ऑफिसर थे. उनकी शख्सियत और उनकी काबलियत पर पूरे परिवार को बड़ा मान था. लेकिन मनीष को भी पहलगाम ने आतंकियों ने नाम पूछ कर अपनी गोलियों का शिकार बना डाला, वो भी उनकी पत्नी और बच्चों के आंखों के सामने. मनीष की मौत से अब पहलगाम से लेकर पुरुलिया तक बेइंतहा दर्द है.
आईबी ऑफिसर मनीष रंजन मिश्रा की मां को जबसे अपने कलेजे के टुकड़े के जाने की खबर मिली है, वो खुद को रोक नहीं पा रही हैं. बस रोए जा रही हैं. मनीष के पैदा होने से लेकर उनके बड़े होने तक और फिर एक आईबी ऑफिसर के तौर पर अपनी पहचान बनाने तक मां को अपने लाडले बेटे की हरेक याद हरेक लम्हें कचोट रहे हैं.
मनीष भी अपनी पत्नी और बच्चों के साथ पहलगाम घूमने गए थे. मगर उनका सामना आतंकियों से हो गया. आतंकियों ने उनकी गाड़ी रुकवाई, पहचान पूछी और बिल्कुल करीब से उन्हें गोली मार दी. पत्नी और बच्चों ने अपनी आंखों के सामने अपने पति और पिता की मौत देखी और वो भी इतनी भयानक बर्बर मौत. जरा सोचिए उन पर क्या गुजरी होगी. सोच कर ही मन सिहर उठता है, रौंगटे खड़े हो जाते हैं.

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