
दक्षिण भारत की सियासत पर हावी है परिवारों की जंग, साफ-साफ नजर आ रहीं रिश्तों की दरारें
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सियासत की चौसर में अक्सर दो अलग-अलग सेनाएं आमने सामने हों, यहां कई बार मोहरे एक दूसरे के खिलाफ भी नजर आते हैं. दक्षिण भारतीय की राजनीति में तो इन दिनों कुछ ऐसा ही असर साफ-साफ दिख रहा है. जहां अपने ही अपनों के खिलाफ खड़े दिख रहे हैं. आइए जानते हैं कि इन दिनों कहां कहां किस पार्टी में दिख रहीं रिश्तों की दरारें.
सियासत में अक्सर नेता अपने परिवार वालों को आगे बढ़ाते हैं लेकिन कभी-कभी परिवारों के अंदर ही सत्ता की जंग शुरू हो जाती है. दक्षिण भारत की कई बड़ी पार्टियां इन दिनों ऐसी ही पारिवारिक लड़ाइयों से जूझ रही हैं. तमिलनाडु की पट्टाली मक्कल काची (PMK) और तेलंगाना की भारत राष्ट्र समिति (BRS) में परिवार के लोग एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हो गए हैं.
PMK में पिता-पुत्र की रार, क्या सुलह हो पाएगी?
तमिलनाडु की PMK पार्टी में पिता एस. रामदास और बेटे अंबुमणि रामदास के बीच सियासी जंग चल रही है. 85 साल के एस रामदास ने अप्रैल 2025 में अपने बेटे अंबुमणि को पार्टी अध्यक्ष पद से हटा दिया और खुद फिर से अध्यक्ष बन गए. रामदास ने मई में अंबुमणि पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि अंबुमणि ने उनकी मर्जी के खिलाफ BJP से गठबंधन किया जबकि वो AIADMK के साथ जाना चाहते थे. रामदास ने यह भी कहा कि उन्हें अंबुमणि को यूपीए-1 सरकार में मंत्री बनाकर गलती हो गई.
इसके बाद दोनों के बीच तनाव इतना बढ़ गया कि पार्टी टूटने की नौबत आ गई. लेकिन गुरुवार (5 जून, 2025) को अंबुमणि ने अपने पिता से तिंदिवनम के पास थैलापुरम में उनके घर जाकर मुलाकात की. इस मुलाकात से सुलह की उम्मीद जगी है. PMK तमिलनाडु में वन्नियार समुदाय की पार्टी है जिसके पास 5% वोट हैं. यह पार्टी कभी DMK तो कभी AIADMK के साथ गठबंधन करती रही है.
BRS में भाई-बहन की टक्कर
तेलंगाना की BRS पार्टी में भी परिवार के अंदर दरार पड़ गई है. पार्टी के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (KCR) के बेटे केटी रामाराव (KTR) और बेटी के. कविता के बीच सियासी जंग छिड़ी है. साल 2023 के विधानसभा चुनाव में BRS की हार के बाद KCR ने खुद को सियासत से दूर कर लिया. इस दौरान KTR ने पार्टी पर पकड़ मजबूत कर ली लेकिन कविता को यह मंजूर नहीं हुआ.

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