
ताहिर हुसैन केस में सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा- ऐसे लोगों के चुनाव लड़ने पर पाबंदी होनी चाहिए
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दिल्ली की मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से एआईएमआईएम कैंडिडेट ताहिर हुसैन ने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. ताहिर की याचिका पर एक दिन पहले ही सुनवाई होनी थी लेकिन समय की कमी के कारण बेंच ने इस पर सुनवाई स्थगित कर दी.
दिल्ली दंगा केस में आरोपी पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन जेल में बंद है. आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर को असदुद्दीन ओवैसी की अगुवाई वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने दिल्ली के चुनावी दंगल में उतारा है. मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से एआईएमआईएम के उम्मीदवार ताहिर हुसैन ने चुनाव प्रचार के लिए सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की है.
ताहिर हुसैन की जमानत याचिका पर 20 जनवरी को ही सुनवाई होनी थी लेकिन समय की कमी के कारण सुनवाई नहीं हो सकी. ताहिर हुसैन की जमानत याचिका पर 20 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पंकज मिथल और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच में सुनवाई होनी थी. समय की कमी के कारण बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी.
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ताहिर हुसैन के वकील ने मामले का जिक्र करते हुए कोर्ट से कहा कि यह केस जमानत स्वीकार किए जाने के लिहाज से उचित है. उन्होंने चुनाव आयोग के नामांकन स्वीकार करने की दलील देते हुए कहा कि अब चुनाव प्रचार की अनुमति भी मिलनी चाहिए. इस जस्टिस पंकज मिथल ने कड़ी टिप्पणी की. जस्टिस पंकज मिथल ने ताहिर हुसैन के गंभीर आरोप में जेल में बंद होने की तरफ इशारा करते हुए कहा कि इस तरह के लोगों के चुनाव लड़ने पर रोक होनी चाहिए.
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जस्टिस मिथल ने कहा कि जेल से चुनाव जीतना आसान है. ऐसे लोगों को तो चुनाव लड़ने ही नहीं देना चाहिए. इससे पहले, दिल्ली हाईकोर्ट ने ताहिर हुसैन को दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए पर्चा दाखिल करने को कस्टडी परोल दे दी थी लेकिन चुनाव प्रचार के लिए जमानत की मांग ठुकरा दी थी. जमानत याचिका हाईकोर्ट से खारिज होने के बाद ताहिर ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. ताहिर हुसैन दिल्ली दंगों के मुख्य आरोपियों में से है. 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान आईबी के अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या के मामले में भी ताहिर हुसैन आरोपी है

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