तवांग झड़प: गलवान के बाद यांगत्से पर थी चीन की निगाहें, एक साल में चरम पर पहुंचा तनाव
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अरुणाचल प्रदेश में LAC के पास तवांग सेक्टर के यांगत्से में 9 दिसंबर को भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी. इसमें दोनों देशों के जवानों को मामूली चोटें आई हैं. हालांकि बाद भारत के कमांडरों ने चीन के साथ फ्लैग मीटिंग कर मामला सुलझा लिया है. यांगत्से का अपना धार्मिक महत्व है. यह तिब्बती संस्कृति का प्रतीक है, इसीलिए दोनों देशों के लिए यह आस्था का एक केंद्र भी है.
मई 2020 में लद्दाख में टकराव के बाद से ही भारतीय सेना को इस बात का अंदाजा हो चुका था कि ईस्टर्न फ्रंट पर चीन के मंसूबे अच्छे नहीं है. इसी इस्टर्न सेक्टर में अरुणाचल प्रदेश आता है. विस्तारवादी चीन इस इलाके को दक्षिण तिब्बत बताता है.
भारत और चीन के बीच जब लद्दाख में तनाव बढ़ गया तो पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने ईस्टर्न सेक्टर में अपनी गतिविधियां बड़ा दी. चीन ने अपने सैन्य साजो सामान यहां ले आए. इसी के साथ ही LAC पर तनाव बढ़ा और माहौल में गर्माहट आ गई.
इसका नतीजा ये हुआ कि इस पूरे क्षेत्र में दोनों देशों की पेट्रोलिंग बढ़ गई, पेट्रोलिंग बढ़ी तो टकराव भी बढ़ा. जिन इलाकों में टकराव बढ़ा उसमें यांगस्टे भी था. इसी यांगत्से में 9 दिसंबर को टकराव हुआ था.
बता दें कि यांगत्से LAC पर भारत और चीन के बीच विवादित स्थानों में से एक है और यही वह जगह है जो पूर्ण रूप से भारतीय नियंत्रण में है. चीन को इसी बात की चिढ़ है. हाल ही में इस क्षेत्र में भारत ने विकास से जुड़े कई काम किए हैं. बस भारत की यही सक्रियता चीन को परेशान कर रही है.
हालांकि, लद्दाख विवाद शुरू होने से पहले और डोकलाम गतिरोध के बाद यहां धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देकर चीजों को आसान बनाने की आपसी योजना थी. यांगत्से में 108 जलप्रपात हैं, जिन्हें तिब्बती संस्कृति में पवित्र माना जाता है. दोनों देशों के नागरिकों में इस जगह को लेकर आस्था है.
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