डीके शिवकुमार vs सिद्धारमैया... 7 फैक्टर से समझें, कहां किसका पलड़ा भारी और कौन से फैक्टर बन सकते हैं रोड़ा
AajTak
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस आलाकमान ने अब मुख्यमंत्री चेहरे पर मंथन शुरू कर दिया है. इससे पहले विधायक दल की बैठक में प्रस्ताव पास कांग्रेस अध्यक्ष पर मुख्यमंत्री चुनने का फैसला छोड़ा गया है.
कर्नाटक में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला है. अब कांग्रेस दक्षिण का द्वार कहे जाने वाले कर्नाटक में सरकार बनाने जा रही है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर कर्नाटक का मुख्यमंत्री कौन होगा? सीएम पद के लिए पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, प्रदेश पार्टी अध्यक्ष डी के शिवकुमार के कयास लगाए जा रहे हैं. दोनों नेताओं को पार्टी ने दिल्ली भी बुलाया है. इससे पहले रविवार को बेंगलुरु में हुई विधायक दल की बैठक में प्रस्ताव पास कर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर सीएम चेहरे का चयन करने का फैसला छोड़ दिया गया. आइए जानते हैं कि डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया में किसका पलड़ा कहां भारी है?
1- डीके शिवकुमार को जब कांग्रेस ने कर्नाटक का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था, उस वक्त पार्टी अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही थी. प्रदेश अध्यक्ष रहते शिवकुमार ने न सिर्फ पार्टी को खड़ा किया, बल्कि राज्य में पार्टी को पूर्ण बहुमत दिलाने में भी अहम भूमिका निभाई.
2- शिवकुमार, कांग्रेस के वफादार हैं. वे 1989 से अब तक 8 बार विधायक बन चुके हैं. उन्होंने कांग्रेस के अलावा कभी दूसरी पार्टी का रुख नहीं किया.
3- डीके वोक्कालिगा समुदाय के सबसे बड़े नेताओं में से एक माने जाते हैं. इस समुदाय का कर्नाटक में 50 सीटों पर प्रभाव माना जाता है.
4- डीके गांधी परिवार के करीबी माने जाते हैं. राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी उन्हें पसंद करते हैं. जब शिवकुमार को ईडी ने गिरफ्तार किया था, तब सोनिया गांधी उनसे मिलने पहुंची थीं.
5- डीके शिवकुमार को संकटमोचक भी कहा जाता है. जब कर्नाटक में ऑपरेशन लोटस हुआ था, तब उन्होंने कांग्रेस विधायकों को एकजुट रखने के लिए पूरी जान लगा दी थी. इतना ही नहीं जब कांग्रेस शासित अन्य राज्यों में भी संकट आया, तब तब शिवकुमार ने अहम भूमिका निभाई. उनकी देखरेख में ही कांग्रेस विधायकों को रिजॉर्ट में ठहराया गया.
दिल्ली में सियासी हलचल तेज हो गई है. राहुल गांधी कांग्रेस के मुख्यालय पहुंच चुके हैं और नीतीश कुमार पटना से दिल्ली आ रहे हैं. एग्जिट पोल के आंकड़े सामने आए हैं, इससे पहले कांग्रेस पार्टी ने 295 सीटों का अपना एग्जिट पोल दिया था. राहुल गांधी और नीतीश कुमार द्वारा दिल्ली में अपनी उपस्थिति और सियासी हलचल ने राजनीतिक दलों के बीच तनाव बढ़ा दिया है.
आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने दावा किया कि बिहार में महागठबंधन 25 से ज्यादा सीटें हासिल करेगा. उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ने बेरोजगारी, भुखमरी, गरीबी, महंगाई से आजादी के लिए वोट किया है. उन्होंने यह भी कहा कि जनता का जनसैलाब तेजस्वी यादव के लिए प्यार दिखा रहा था. विरोधी दो दिन तक खुशफहमी में जी लें.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एग्जिट पोल को लेकर अपनी पहली प्रतिक्रिया दी है. राहुल गांधी ने एग्जिट पोल को प्रधानमंत्री मोदी का पोल बता दिया और उसे पूरी तरह से नकार दिया. राहुल गांधी ने दावा किया कि 'इंडिया गठबंधन' को 295 सीटें मिल रही हैं. सिद्धू मूसेवाला का गाने 295 जितनी हमारी सीटें आएंगी.
बैठक में खड़गे पार्टी उम्मीदवारों को 4 जून को काउंटिंग के दौरान एहतियात बरतने को लेकर दिशा निर्देश देंगे. मीटिंग में अध्यक्ष खड़गे के अलावा राहुल गांधी, जयराम रमेश, केसी वेणुगोपाल भी मौजूद हैं. कांग्रेस ने यह बैठक ऐसे समय पर बुलाई है जब एक दिन पहले ही अंतिम दौर का मतदान पूरा होने के बाद एग्जिट पोल्स के नतीजे आए हैं.
देश में 543 लोकसभा सीटें हैं. इंडिया टुडे और एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल के मुताबिक, इस बार NDA को 361 से 401 सीटें मिल सकती हैं. जबकि INDIA ब्लॉक को 131 से 166 सीटें मिलने की उम्मीद है. पांच राज्य ऐसे हैं, जहां अनुमानों में बड़ा उलटफेर देखने को मिल रहा है. इनमें आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल का नाम शामिल है.
सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में वोटों की गिनती जारी है. अरुणाचल प्रदेश के रुझानों में बीजेपी ने बहुमत हासिल कर लिया है. वहीं, सिक्किम में एसकेएम परचम लहराती दिख रही है. रुझानों में एसकेएम विपक्षी पार्टियों का सफाया करती हुई दिख रही है. सिक्किम में बीजेपी का खाता तक नहीं खुला है. आइए विधानसभा चुनाव परिणाम का अपडेट जानते हैं.
बंगाल के नादिया में BJP कार्यकर्ता हफीजुल शेख की गोली मारकर हत्या, हाल ही में भाजपा में हुए थे शामिल
पश्चिम बंगाल के नादिया में बीजेपी कार्यकर्ता हफीजुल शेख की गोली मारकर हत्या कर दी गई है. हफीजुल ने कुछ समय पहले ही बीजेपी का हाथ थामा था. पीड़ित भाजपा कार्यकर्ता के परिवार ने दावा किया कि वह हाल ही में भाजपा में शामिल हुआ था, इसलिए उसकी हत्या की गई है.