जो देश बन रहे पर्यावरण के 'सरपंच', वही हैं धरती के असल 'गुनहगार'
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दुनिया के विकासशील देशों पर अब जिम्मेदारी आ गई है कि वो पर्यावरण को कम से कम से नुकसान पहुंचाए बिना अपने राष्ट्र का विकास करें. आज जो विकसित देश हैं उन्होंने विकास के लिए पर्यावरण की परवाह किए बगैर कल कारखानों का जंगल लगा दिया, जिससे होने वाले कार्बन उत्सजर्न और जंगलों की कटाई ने दुनिया को आज इस हाल में लाकर खड़ा कर दिया है. आज जो देश विकसित होने का तमगा लगाकर घूम रहे हैं, वही देश धरती के आज के हालात के जिम्मेदार हैं. जो देश 19वीं और 20 सदी में विकास के नाम पर उद्योगों की सूनामी लेकर आए थे, जिनकी फैक्ट्रियों से निकले धुएं ने धरती का तापमान बढ़ा. देखिए ये रिपोर्ट.
नवाज शरीफ ने 25 साल बाद एक गलती स्वीकार की है. ये गलती पाकिस्तान की दगाबाजी की है. 20 फरवरी 1999 को दिल्ली से जब सुनहरी रंग की 'सदा-ए-सरहद' (सरहद की पुकार) लग्जरी बस अटारी बॉर्डर की ओर चली तो लगा कि 1947 में अलग हुए दो मुल्क अपना अतीत भूलाकर आगे चलने को तैयार हैं. लेकिन ये भावना एकतरफा थी. पाकिस्तान आर्मी के मन में तो कुछ और चल रहा था.
देश के ज्यादातर मैदानी इलाकों में पड़ रही प्रचंड गर्मी के बीच दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) वीके सक्सेना ने बड़ा फैसला लिया है. LG ने निर्देश दिया है कि इस भीषण गर्मी में मजदूरों को 12 बजे से लेकर 3 बजे तक काम से छुट्टी मिलेगी. साथ ही मजदूरों को मिलने वाली इस राहत के बदले कोई भी उनकी सैलरी नहीं काट सकेगा.
करीब सवा सौ गज के एक छोटे से मकान में यह अस्पताल चल रहा था. इस मकान की स्थिति ऐसी है कि वह किसी भी वक्त गिर सकता है. अस्पताल के ग्राउंड फ्लोर पर ऑक्सीजन के सिलेंडर बिखरे मिले. इनमें से कुछ सिलेंडर के परखचे उड़े हुए थे, क्योंकि आग लगने के बाद इनमें विस्फोट हुआ था अस्पताल में लगी आग को भयावह रूप देने में इन ऑक्सीजन सिलेंडर ने भी मदद की.