
चमड़े की मुद्रा और पेट्रोल एक पैसा लीटर की मांग... और मथुरा में सिटी एसपी समेत चली गई थी 29 लोगों की जान
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मथुरा के जवाहर बाग हिंसा के छह साल पूरे हो गए हैं. देश में चमड़े की मुद्रा और एक पैसा लीटर पेट्रोल की मांग करने वाले रामवृक्ष यादव समेत 27 लोगों की जान चली गई थी. इस मामले में तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ संतोष यादव भी शहीद हो गए थे.
आज के दिन छह साल पहले यानी 2 जून 2016 को मथुरा का जवाहर बाग सुर्खियों में था. दरअसल, मध्य प्रदेश के सागर जिले से 1000 लोगों के साथ स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह संगठन का अध्यक्ष रामवृक्ष यादव ने प्रशासन से जवाहर बाग में 2 दिन ठहरने की अनुमति ली थी. अनुमति के बाद रामवृक्ष यादव अपने समर्थकों के साथ यहां से वापस नहीं गया. प्रशासन ने कई बार उसे जवाहर बाग से हटाने का प्रयास किया लेकिन हर बार उसका हमेशा पुलिस से टकराव होता रहा.
मथुरा के तत्कालीन जिलाधिकारी और एसएसपी ने कई बार जवाहर बाग को खाली कराने का प्रयास किया. इसके लिए उन लोगों ने रामवृक्ष यादव से कई राउंड बात की लेकिन वह उनके सामने शर्त रखता था कि देश में चमड़े की मुद्रा चलनी चाहिए, पेट्रोल एक पैसा लीटर होना चाहिए. जब कई बार वार्ता विफल हुई तो मामला कोर्ट पहुंच गया. कोर्ट ने भी जवाहर बाग को खाली कराने के आदेश दिए.
दो घंटे बातचीत के बाद कब्जाधारियों ने किया था हमला
2 जून 2016 को तत्कालीन जिला अधिकारी राजेश कुमार व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार सिंह ने शाम 4 बजे तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी के नेतृत्व में पुलिस फोर्स के साथ जवाहर बाग को खाली कराने के लिए कूच किया. 2 घंटे तक पुलिस और रामवृक्ष के लोग में बात होती रही. शाम 6 बजे कब्जाधारियों ने पुलिस पर हमला कर दिया था.
मारपीट में घायल हुए थे सिटी एसपी मुकुल द्विवेदी
इसी दौरान एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी घायल हुए जिनके सिर में गंभीर चोट आई थी. वहीं तत्कालीन एसओ रिफाइनरी संतोष कुमार यादव भी वहीं घायल हुए थे. दोनों को मथुरा की नियति हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी. वहीं पुलिस की जवाबी कार्रवाई में जवाहर बाग में मौजूद कब्जाधारियों में 27 लोग मारे गए थे.

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