
गुजरात: साबरमती जेल में बंद ISKP आतंकी को कैदियों ने पीटा, रिसीन जहर से लोगों को मारने की प्लानिंग में हुई थी गिरफ्तारी
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गुजरात की साबरमती जेल में ISKP आतंकी डॉ. अहमद पर हाई सिक्योरिटी सेल में बंद कैदियों ने अचानक हमला कर दिया, जिसमें उसकी बुरी तरह पिटाई हुई. मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने उसकी जान बचाई. घटना की जानकारी मिलते ही गुजरात ATS पहुंची और हमले की वजह की जांच शुरू की. 8 नवंबर को ATS ने डॉ. अहमद समेत तीन आतंकियों को रिसीन ज़हर से बड़े हमले की साज़िश में गिरफ्तार किया था.
गुजरात की साबरमती जेल से एक बड़ी खबर सामने आई है. रिसीन ज़हर से लोगों को मारने की साज़िश रचने के आरोप में बंद (इस्लामिक स्टेट खोरासान प्रांत) ISKP से जुड़े आतंकी डॉ. अहमद पर जेल में हमला हुआ है. जानकारी के मुताबिक, हाई सिक्यूरिटी सेल में बंद अन्य कैदियों ने उस पर अचानक हमला कर दिया और उसकी बुरी तरह पिटाई कर दी.
सूत्रों के अनुसार, हमले के दौरान स्थिति इतनी बिगड़ गई कि मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने हस्तक्षेप कर उसकी जान बचाई. मारपीट की सूचना मिलते ही सेल के बाहर तैनात सुरक्षाकर्मी तुरंत अंदर पहुंचे और डॉ. अहमद को कैदियों के चंगुल से बाहर निकाला.
घटना की जानकारी मिलते ही गुजरात ATS की टीम भी साबरमती जेल पहुंच गई है और हमले की वजह की जांच शुरू कर दी गई है. अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि कैदियों ने अचानक हमला क्यों किया.
8 नवंबर को आतंकी हुए थे गिरफ्तार गौरतलब है कि 8 नवंबर को गुजरात ATS ने डॉ. अहमद समेत ISKP के दो और आतंकियों को गिरफ्तार किया था. इन पर देश में ज़हरीले पदार्थ का इस्तेमाल करके बड़े पैमाने पर लोगों को मारने की योजना बनाने का आरोप है. जेल प्रशासन और ATS पूरी घटना की जांच कर रही है, और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी समीक्षा की जा रही है.
रिसिन क्या है? रिसिन एक अत्यंत जहरीला प्राकृतिक प्रोटीन है, जो अरंडी के पौधे (Ricinus Communis) के बीजों में पाया जाता है. यह वही पौधा है जिससे निकला तेल दवाइयों, साबुन, मशीनरी और कई घरेलू चीज़ों में काम आता है. लेकिन इसी पौधे के बीजों में छिपा रिसिन इतना घातक होता है कि इसे जैविक हथियारों की सूची में रखा जाता है. कभी अमेरिका और रूस जैसे बड़े देशों ने भी इसे हथियार के रूप में इस्तेमाल करने पर विचार किया था.
रिसिन आमतौर पर सफेद, बारीक, बिना किसी गंध या स्वाद वाला पाउडर होता है. इसे निगलने, सांस के ज़रिए शरीर में लेने या इंजेक्शन के रूप में डालने पर घातक असर हो सकता है. अच्छी बात यह है कि यह संक्रामक नहीं होता, यानी एक व्यक्ति से दूसरे तक नहीं फैलता. लेकिन अगर इसे हवा में फैलाया जाए या पानी में मिलाया जाए, तो यह बड़े पैमाने पर तबाही मचा सकता है.

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