गठबंधन का नाम 'INDIA' हुआ तो सपा का PDA से पिंड छूटा, पार्टी के नेताओं ने ली राहत की सांस
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दरअसल समाजवादी पार्टी के एक तबके को और खासकर रणनीतिकारों को यह लगने लगा था कि पीडीए फायदा से कहीं ज्यादा नुकसानदेह साबित हो सकता है. क्योंकि पीडीए समावेशी नहीं है, इसमें पिछड़े दलितों और मुसलमानों की बात की गई है.
पटना में विपक्षी एकता की पहली बैठक के वक्त अखिलेश यादव ने विपक्ष के लिए पीडीए शब्द का इस्तेमाल किया था, पीडीए यानि पिछड़े दलित अल्पसंख्यक-मुसलमान, और अखिलेश यादव ने जोर शोर से एनडीए के जवाब में पीडीए की वकालत की. उत्तर प्रदेश में तो समाजवादी पार्टी ने पीडीए को अपना टैगलाइन भी बना दिया.
पीडीए के बड़े-बड़े पोस्टर लगने लगे. समाजवादी पार्टी के नेता और प्रवक्ता पीडीए का जोर शोर से प्रचार करने लगे. यहां तक की पीडीए का पॉलीटून भी बन गया और समाजवादी पार्टी के लोग उसे शेयर भी करने लगे. लेकिन बेंगलुरु की बैठक में जब पीडीए नाम नहीं हुआ और गठबंधन का नया नाम I.N.D.I.A रख दिया गया तब समाजवादी पार्टी के एक तबके में राहत की सांस ली गई.
नाम न छापने की शर्त पर समाजवादी पार्टी के एक बड़े नेता ने कहा कि अच्छा हुआ पीडीए विलुप्त हो गया. क्योंकि पीडीए की वजह से पार्टी का नुकसान हो रहा था.
दरअसल समाजवादी पार्टी के एक तबके को और खासकर रणनीतिकारों को यह लगने लगा था कि पीडीए फायदा से कहीं ज्यादा नुकसानदेह साबित हो सकता है. क्योंकि पीडीए समावेशी नहीं है, इसमें पिछड़े दलितों और मुसलमानों की बात की गई है, जबकि सवर्णों के एक बड़े तबके को अलग-थलग कर दिया गया है जो पार्टी के हित में अच्छा नहीं होता. ऐसे में अगर पीडीए की चर्चा खत्म हो जाती है तो यह पार्टी के हित में श्रेयकर है.
बीजेपी के बड़े नेता अब अखिलेश यादव के इस पीडीए को लेकर चुटकी लेने लगे हैं. केशव मौर्य ने ट्वीट कर लिखा, पटना में यूपीए खत्म बंगलुरु में पीडीए खत्म.
बहरहाल पीडीए को लेकर अखिलेश यादव क्या सोचते हैं यह सामने आना अभी बाकी है. हालांकि, बेंगलुरु में ही जब I.N.D.I.A नाम विपक्षी गठबंधन ने स्वीकार कर लिया तब अखिलेश यादव ने ट्वीट कर इंडिया लिखा, लेकिन क्या पीडीए को लेकर वो उत्तर प्रदेश में आगे बढ़ेंगे, इस पर अभी साफ-साफ कुछ भी सामने नहीं आया है. बहरहाल पीडीए से पिंड छूट गया है ऐसा पार्टी के कई नेता मानते हैं.
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