खुशबू के शौकीन थे मुगल बादशाह, महकते रहते थे हरम, सबसे बेहतरीन इत्र करते थे इस्तेमाल
Zee News
ऐतिहासिक प्रमाणों के मुताबिक मध्यकालीन भारत में मुगल इत्र के बेहद शौकीन थे और इत्र बनाने की कला के संरक्षक भी रहे. हैदराबाद के निजाम जैस्मीन के इत्र का इस्तेमाल किया करते थे. अकबर के नवरत्नों में से एक अबुल फजल ने अपनी किताब आइने अकबरी में जिक्र किया है कि अकबर हर दिन इत्र का इस्तेमाल किया करता था.
नई दिल्ली. दिल्ली का निजामुद्दीन इलाका सूफी संत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह के नाम से जाना जाता है. इस दरगाह के पास पहुंचते हुए आप खुशबू के झोंकों को अनदेखा नहीं कर सकते. इसी दरगाह के पास एक इत्र की मार्केट भी है. यहां आपको दुकानों में शीशे की खूबसूरत बोतलों में इत्र भरे हुए दिखेंगे. ऐसी खुशबू जो हर आने-जाने वाले को अपनी तरफ खींचती है. दरअसल इत्र शब्द का मूल फारसी भाषा में बसता है. अरबी शब्द अत्तर है. इत्र को बनाने में अल्कोहल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. यही कारण है कि इसे सीधे शरीर पर लगाने की प्रथा है जैसे कलाई पर, कान पर और गर्दन के पीछे.