
क्यों संकट में शिंदे-फडणवीस सरकार? राउत के 15 दिन के 'डेथ वारंट' के पीछे की कहानी क्या है महाराष्ट्र में दो बार हो चुका उलटफेर
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संजय राउत और उद्धव गुट को सुप्रीम कोर्ट से उम्मीदें हैं. सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने पिछले दिनों उद्धव और शिंदे गुट की ओर से दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करके फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से महाराष्ट्र में जारी अनिश्चितता भी खत्म हो जाएगी.
उद्धव ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत एक बार फिर चर्चा में हैं. वजह उनका वह बयान, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि महाराष्ट्र में शिंदे-फडणवीस सरकार सिर्फ 15-20 दिनों में गिर जाएगी. संजय राउत जब-जब चर्चा में रहते हैं, महाराष्ट्र में बड़ा सियासी उलटफेर देखने को मिलता है. चाहे महाराष्ट्र में 2019 विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद उद्धव का बीजेपी से नाता तोड़कर एनसीपी-कांग्रेस के साथ आना हो या फिर जून 2022 में एकनाथ शिंदे द्वारा तख्ता पलट, हर बार राउत की ओर से खूब बयानबाजी देखने को मिली.
अब सवाल उठता है कि आखिर संजय राउत ने ऐसा दावा किस आधार पर किया. दरअसल, राउत ने कहा, ''महाराष्ट्र में शिंदे-फडणवीस सरकार का डेथ वारंट जारी हो चुका है, सिर्फ तारीख का ऐलान होना बाकी है. मैंने पहले ही कहा था कि शिंदे सरकार फरवरी में गिर जाएगी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले में देरी के कारण इस सरकार की लाइफलाइन बढ़ गई. यह सरकार अगले 15-20 दिनों में गिर जाएगी.''
यानी राउत और उद्धव गुट को सुप्रीम कोर्ट से उम्मीदें हैं. सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने पिछले दिनों उद्धव और शिंदे गुटों और राज्यपाल दफ्तर की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस फैसले के साथ ही साफ हो जाएगा कि महाराष्ट्र में सियासी ऊंट किस करवट बैठेगा? भले ही शिंदे गुट ने राउत को 'फर्जी ज्योतिष' करार दिया हो, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला एकनाथ शिंदे और उनके गुट के विधायकों का भी भविष्य तय करेगा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से महाराष्ट्र में जारी सियासी अनिश्चितता भी खत्म हो जाएगी.
उद्धव गुट को अरुणाचल पर सुप्रीम कोर्ट के 2016 के फैसले से उम्मीद है. दरअसल, फरवरी 2016 में कालिखो पुल कांग्रेस से बगावत कर भाजपा के समर्थन से अरुणाचल के मुख्यमंत्री बने थे. लेकिन चार महीने बाद जुलाई में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें पद से हटना पड़ा था.
महाराष्ट्र में पिछले साल जून में एकनाथ शिंदे गुट ने बगावत कर दी थी. इसके बाद उद्धव सरकार गिर गई थी. शिंदे ने शिवसेना के बागी विधायकों के साथ बीजेपी के समर्थन में सरकार बनाई. इसके बाद से उद्धव ठाकरे गुट के कई नेता शिंदे गुट में शामिल हो चुके हैं. वहीं लंबी उठापटक के बाद शिवसेना के नाम और पार्टी के सिंबल पर हक को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच तनातनी चल रही थी. चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को शिवसेना का प्रतीक तीर कमान सौंप दिया था.
- 20 जून- एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के बागी विधायकों के साथ बगावत कर दी. 23 जून को शिंदे ने दावा किया कि उनके पास 35 विधायकों का समर्थन है. - 25 जून- स्पीकर ने शिवसेना के 16 बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने का नोटिस भेजा. बागी विधायक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. - 26 जून- सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों (शिवसेना, केंद्र, डिप्टी स्पीकर को नोटिस भेजा) बागी विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली. - 28 जून- राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उद्धव ठाकरे को बहुमत साबित करने के लिए कहा. उद्धव गुट इस फैसले के खिलाफ SC पहुंचा. - 29 जून- सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. - 30 जून- एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने. भाजपा के देवेंद्र फडणवीस उप मुख्यमंत्री बनाए गए. - 3 जुलाई- विधानसभा के नए स्पीकर ने शिंदे गुट को सदन में मान्यता दे दी. अगले दिन शिंदे ने विश्वास मत हासिल कर लिया.

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