
क्या NEP के तहत तीन भाषा फॉर्मूला हिन्दी थोपने की कोशिश है? तमिल पार्टियां क्यों कर रहीं विरोध
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देश के ज्यादातर राज्यों से अलग कुछ राज्यों के बोर्ड दो-भाषा फॉर्मूला अपना रहे हैं. तमिलनाडु उनमें से एक है, जहां राज्य के सरकारी स्कूलों में तमिल और अंग्रेजी पढ़ाई जाती है. केंद्रीय बोर्ड तीन भाषाएं पढ़ा रहे हैं, कुछ स्टेट बोर्ड में अब तक दो भाषाएं पढ़ाई जाती हैं.
भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में भाषाएं न सिर्फ लोगों को जोड़ने में मदद करती हैं, बल्कि कई बार विवाद भी पैदा करती हैं. यह तब और भी सच हो जाता है जब राजनीतिक जुबान से भाषा बोली जाती है. इसका सबसे ताज़ा उदाहरण नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 में तीन-भाषा फॉर्मूले को लेकर मचा राजनीतिक बवाल है, जिसके बारे में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन का आरोप है कि यह तमिल भाषी राज्य में हिन्दी थोपने की कोशिश है. क्या तीन-भाषा का फॉर्मूला बीजेपी की खोज है और क्या यह उन राज्यों पर हिन्दी थोपने का काम करेगा जो इसे पढ़ाने के लिए तैयार नहीं हैं?
हिन्दी थोपने का आरोप
तमिलनाडु ने केंद्र पर समग्र शिक्षा अभियान के तहत 573 करोड़ रुपये रोकने का आरोप लगाया है, क्योंकि राज्य ने मॉडल स्कूल स्थापित करने के लिए पीएम श्री पहल में शामिल होने से इनकार कर दिया है. तमिलनाडु का कहना है कि उसका इनकार राज्य में NEP को लागू करने की शर्त से जुड़ा है. तमिल भाषी राज्य एनईपी को बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा तीन भाषा फॉर्मूला और उसके माध्यम से हिन्दी को लागू करने के प्रयास के रूप में देखता है.
दिल्ली स्थित सीबीएसई के एक शीर्ष अधिकारी ने इंडिया टुडे डिजिटल को यह स्पष्ट करने से इनकार कर दिया कि क्या इन भाषाओं का अध्ययन सिर्फ कक्षा 8वीं तक ही करना होगा या कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षाओं के लिए भी ये अनिवार्य है. जनसंख्या आधारित परिसीमन के खिलाफ रुख के साथ, यह हिन्दी विरोधी रुख स्टालिन और उनकी पार्टी डीएमके को तमिलनाडु में 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ एक मजबूत आधार दे रहा है.
भाषाई आजादी के लिए फैसला
डीएमके नेतृत्व ने जो रुख अपनाया है, उससे तो यह साफ हो चुका है. हालांकि एनईपी के लिए तमिलनाडु का विरोध इसके प्रस्तावित बदलावों से भी उपजा है- जैसे एक समान स्नातक प्रवेश परीक्षा, मानकीकृत परीक्षाएं और व्यावसायिक प्रशिक्षण. लेकिन डीएमके ने भाषा के मुद्दे को ही उठाने का विकल्प चुना है. तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु हमेशा से तीन-भाषा नीति के खिलाफ रहा है. हम इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे. केंद्र एनईपी का इस्तेमाल बैक डोर से हिन्दी की एंट्री के रूप में करना चाहता है.

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