क्या है स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट? MSP पर C2+50% के फॉर्मूले से क्यों बचती रही हैं सरकारें
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कई सारी मांगों को लेकर किसान एक बार फिर सड़क पर उतर आए हैं. दिल्ली कूच करने के लिए किसानों को बॉर्डर पर ही रोक दिया गया है. एमएसपी पर गारंटीड कानून समेत कई मांगों को लेकर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. ऐसे में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के बारे में जानना भी जरूरी है.
Farmers Protest: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले किसान एक बार फिर सड़कों पर हैं. दो संगठन- संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने मंगलवार को 'दिल्ली चलो मार्च' बुलाया था. इसे देखते हुए दिल्ली की सभी सीमाएं सील हैं.
दिल्ली आने वालीं सभी सीमाओं को छावनी में तब्दील कर दिया गया. बैरिकेडिंग कर दी गई है. ड्रोन से निगरानी की जा रही है. इस बीच शंभू बॉर्डर से लेकर जींद बॉर्डर पर किसान और पुलिस में झड़प जारी है. प्रदर्शनकारी किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस और रबर बुलेट का इस्तेमाल किया जा रहा है.
किसानों का मकसद संसद भवन का घेराव कर सरकार पर अपनी मांगे मनवाने का दबाव बनाना था. लेकिन पुलिस ने सीमाओं को पूरी तरह से सील कर दिया है.
प्रदर्शन कर रहे किसानों की सबसे बड़ी मांगों में से एक एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी की है. किसान एमएसपी पर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग भी कर रहे हैं. ऑल इंडिया किसान सभा का कहना है कि सरकार ने स्वामीनाथन को भारत रत्न तो दे दिया, लेकिन उनकी सिफारिशें नहीं मानीं.
किसान संगठनों का दावा है कि सरकार ने उनसे एमएसपी की गारंटी पर कानून लाने का वादा किया था, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका.
स्वामीनाथन आयोग ने किसानों को उनकी फसल की लागत का डेढ़ गुना कीमत देने की सिफारिश की थी. आयोग की रिपोर्ट को आए 18 साल का वक्त गुजर गया है, लेकिन एमएसपी पर सिफारिशों को अब तक लागू नहीं किया गया है. और किसानों के बार-बार आंदोलन करने की एक बड़ी वजह भी यही है.
एग्जिट पोल का अनुमान बताता है कि बीजेपी और महायुति को जितनी सीटों पर जीतने की उम्मीद थी, वो पूरी होती नहीं दिख रही है. एग्जिट पोल में महाराष्ट्र की 48 सीटों में से बीजेपी को 20-22, कांग्रेस को 3-4, शिवसेना (ठाकरे गुट) को 9-11, शिवसेना (शिंदे गुट) को 8-10, एनसीपी (शरद पवार) को 4-5 और एनसीपी (अजित पवार) को 1-2 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है.
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