क्या है क्लीन नोट पॉलिसी? जिसके तहत RBI समय-समय पर लेता रहा नोट ना छापने का फैसला
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आरबीआई ने 'क्लीन नोट पॉलिसी' के तहत 2000 रुपये के नोटों को वापस लेने का फैसला किया है. आरबीआई एक्ट 1934 की धारा 24(1) के तहत नवंबर 2016 को 2000 रुपये के नोटों को चलन में लाया गया था. उस समय 500 और 1000 रुपये के नोटों को सर्कुलेशन से बाहर करने के बाद इसे चलन में लाया गया था.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 2000 रुपये के नोटों को वापस लेने का फैसला किया है. हालांकि, 2000 रुपये के नोट का लीगल टेंडर जारी रहेगा. आरबीआई ने बैंकों को 30 सितंबर 2023 तक 2000 रुपये के नोट जमा करने और बदलने की सुविधा दी है. लेकिन सवाल ये है कि 2000 रुपये के इन नोटों को वापस क्यों लिया जा रहा है?
दरअसल आरबीआई ने 'क्लीन नोट पॉलिसी' के तहत 2000 रुपये के नोटों को वापस लेने का फैसला किया है. आरबीआई एक्ट 1934 की धारा 24(1) के तहत नवंबर 2016 को 2000 रुपये के नोटों को चलन में लाया गया था. उस समय 500 और 1000 रुपये के नोटों को सर्कुलेशन से बाहर करने के बाद इसे चलन में लाया गया था.
रिजर्व बैंक का मानना था कि 2000 रुपये का नोट उन नोट की वैल्यू की भरपाई आसानी से कर देगा, जिन्हें चलन से बाहर कर दिया गया था.
2018-2019 से 2000 रुपये के नोट छपना बंद
आरबीआई ने 2018-2019 से 2000 के नोटों को छापना बंद कर दिया था. आज जितने भी 2000 के नोट चलन में हैं, उनमें से अधिकतर मार्च 2017 से पहले जारी किए गए थे. एक तथ्य यह भी है कि 2000 रुपये के नोट का लेनदेन में अधिक इस्तेमाल भी नहीं हो रहा था. यही वजह रही कि आरबीआई ने 'क्लीन नोट पॉलिसी' के तहत 2000 रुपये के नोटों को सर्कुलेशन से वापस लेने का फैसला किया है.
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