क्या फिर एक बार बदलने वाली है बिहार की सियासत? मिल रहे हैं ये पांच बड़े संकेत
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बिहार की सियासत क्या फिर करवट लेने वाली है? ये चर्चा आधारहीन भी नहीं. राजनीति में संकेतों का अपना महत्व होता है और इसके पांच बड़े संकेत मिल रहे हैं. वो पांच बड़े संकेत क्या हैं?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के खिलाफ अलग-अलग मिजाज वाली पार्टियों को एक मंच पर लाने की पहल की. कोलकाता से चेन्नई और लखनऊ से दिल्ली तक एक करने के बाद वे अपनी कोशिश में सफल भी रहे. नीतीश की पहल पर शुरू हुई विपक्षी एकजुटता की कवायद अब 28 पार्टियों के इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस यानी INDIA गठबंधन के रूप में आकार भी ले चुकी है. लेकिन अब ये सवाल उठने लगे हैं कि क्या बिहार में गठबंधनों का गणित बदलने वाला है? सूबे की सियासत बदलने वाली है?
विपक्षी गठबंधन की धुरी रहे नीतीश को लेकर अटकलों में कितना दम है, ये आने वाले समय में पता चलेगा लेकिन घटनाक्रम कुछ इशारा कर रहा है. बीजेपी के नेता बार-बार ये जरूर कह रहे हैं कि नीतीश के लिए एनडीए के दरवाजे बंद हो गए हैं. खुद गृह मंत्री अमित शाह भी यही बात कह चुके हैं लेकिन सियासत में दोस्ती हो या दुश्मनी, स्थायी नहीं रहती. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पिछले दिनों कहा था कि हमने कभी किसी को नहीं छोड़ा. जो लोग हमें छोड़कर गए हैं, उनको तय करना है कि वे कब लौटते हैं. क्या नीतीश कुमार एनडीए में वापसी करेंगे? इन पांच संकेतों से कयास तो यही लगाए जा रहे हैं.
1- पीएम मोदी से गर्मजोशी के साथ मुलाकात
जी-20 सम्मेलन में शामिल होने आए राष्ट्राध्यक्षों के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से आयोजित डिनर में नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात हुई. जेडीयू के एनडीए से अलग होने के बाद ये पहला मौका था जब नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मिले. दोनों नेताओं के बीच गर्मजोशी देखने को मिली और पीएम मोदी ने नीतीश को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से भी मिलवाया, उनका परिचय कराया.
पीएम मोदी और नीतीश की तस्वीरों के सामने आने के बाद बिहार बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी और एलजेपी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने तंज करते हुए कहा कि एनडीए में जगह खाली नहीं है. वहीं, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतनराम मांझी ने कहा कि प्रधानमंत्री जिस तरीके से नीतीश कुमार का अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से परिचय करा रहे हैं, उसमें कई संकेत छिपे हैं जो आने वाले समय में पता चलेंगे. मांझी के बयान के बाद ये चर्चा तेज हो गई कि वो संकेत कहीं नीतीश की एनडीए में वापसी तो नहीं?
2- रविवार के दिन केंद्र ने खोला खजाना
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