
क्या काम करते हैं मॉड्यूलर न्यूक्लियर रिएक्टर, जो रूस भारत में बनाएगा, पुतिन के दौरे में होगी डील
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पुतिन के दौरे में रूस-भारत SMR डील पक्की हो सकती है. छोटे मॉड्यूलर न्यूक्लियर रिएक्टर (50-300 MW) फैक्ट्री में बनेंगे. एक रिएक्टर पूरा छोटा शहर रोशन कर सकता है. 2-3 साल में तैयार हो जाएगा. ये सस्ते और 100% सुरक्षित हैं. भारत में ही बनेंगे. टेक्नोलॉजी ट्रांसफर होगा. 2033 तक 5 रिएक्टर चालू करने की योजना है. बिजली क्रांति आने वाली है.
भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए एक बड़ा कदम उठने वाला है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के 4-5 दिसंबर के भारत दौरे के दौरान रूस के रोसाटॉम के साथ छोटे मॉड्यूलर न्यूक्लियर रिएक्टर (SMR) की डील पर मुहर लग सकती है. यह डील न सिर्फ भारत को साफ और सस्ती बिजली देगी.
एक SMR पूरा शहर रोशन करने में सक्षम होगा. विशेषज्ञों का कहना है कि इससे भारत की नेट जीरो लक्ष्य (2070) तेजी से पूरा होगा.
पुतिन का यह दौरा सिर्फ रक्षा (Su-57, S-400) तक सीमित नहीं, बल्कि ऊर्जा सहयोग का बड़ा मंच बनेगा. क्रेमलिन के स्पोक्सपर्सन दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि हम छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों पर प्रस्ताव ला रहे हैं. रूस के पास छोटे और लचीले न्यूक्लियर रिएक्टरों की महत्वपूर्ण तकनीक है. रोसाटॉम के सीईओ एलेक्सी लिकाचेव पुतिन के साथ दिल्ली आएंगे, जहां कुडनकुलम न्यूक्लियर प्लांट के विस्तार के साथ SMR पर फोकस होगा.
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SMR का प्लान: शुरुआत में 5-10 रिएक्टर रूस से आएंगे, फिर भारत में लोकल प्रोडक्शन होगा. प्रत्येक रिएक्टर 50-300 मेगावाट (एमडब्ल्यूई) बिजली पैदा करेगा. कुल लागत: 20,000 करोड़ रुपये का न्यूक्लियर एनर्जी मिशन, जिसमें भारत के 'छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर' प्रोजेक्ट को बूस्ट मिलेगा. 2033 तक 5 भारतीय SMR चालू होंगे.

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