
क्या आजम खान को सपा के मार्गदर्शक मंडल में रखने की तैयारी है?
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अखिलेश यादव ने अकेले मुलाकात कर आजम खान की बात मान ली, लेकिन रामपुर के सांसद मोहिबुल्लाह नदवी से उनकी अदावत बढ़ती ही जा रही है. और, आखिलेश यादव बस रस्म निभा रहे हैं. अब आजम खान के इलाके में सपा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी काबिज होते नजर आ रहे हैं.
समाजवादी पार्टी में भी सीनियर नेताओं के साथ वैसा ही व्यवहार हुआ है, जैसा भारतीय जनता पार्टी में. थोड़ा सा फर्क ये रहा कि बीजेपी ने एक नया ठिकाना बनाया, और एक नया नाम दे दिया - मार्गदर्शक मंडल.
मार्गदर्शक मंडल का नाम घोषित तौर पर तो 2014 में सामने आया, लेकिन समाजवादी पार्टी में उसकी नींव पहले ही पड़ चुकी थी. 2012 में समाजवादी पार्टी के सत्ता में लौटने के साथ ही, पार्टी के अंदर हलचल शुरू हो गई थी. सीनियर नेताओं का गुट चाहता था कि मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बनें, जबकि जीत के सूत्रधार अखिलेश यादव बने थे. तमाम विरोध और मान मनौव्वल के बाद भी मुलायम सिंह अपने लिए तैयार नहीं हुए, और अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने.
2014 में बीजेपी के केंद्र में काबिज होने का कोई सीधा असर तो नहीं हुआ, लेकिन समाजवादी पार्टी में बर्तन टकराने लगे. जैसे अभी खास और गंभीर चीजों पर भी मीम बन जाते हैं, उन दिनों कहा जाने लगा था कि यूपी में साढ़े चार मुख्यमंत्री हैं, और उसमें आधा हिस्सा अखिलेश यादव का ही माना जाता था.
धीरे धीरे टकराव बढ़ता गया, और शिवपाल यादव की नाराजगी की खबरें आने लगीं. तब तक समाजवादी पार्टी में अलग प्रभाव रखने वाले अमर सिंह ने नाराज शिवपाल यादव को कई मौकों पर मनाया भी था. जैसे जैसे अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी पर काबिज होते गए, शिवपाल यादव और उनकी बराबरी की हैसियत रखने वाले नेताओं के साथ कुछ कुछ वैसा ही ही होने लगा, जैसी उनको अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने से पहले से ही आशंका थी.
ऐसा भी नहीं था कि अखिलेश यादव कोई नया काम कर रहे थे, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी ऐसे इल्जाम लगे हैं. एक फर्क ये है कि पारिवारिक संपत्ति के वारिस की तरह अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी की विरासत पर भी कब्जा कर लिया, लेकिन जैसे अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव को ठिकाने लगाया, जॉर्ज फर्नांडिस और शरद यादव के साथ भी ऐसा ही सलूक हुआ था.
समाजवादी पार्टी के संस्थापक और सबसे बड़ा मुस्लिम चेहरा होने के चलते मोहम्मद आजम खान अब तक बचे हुए थे - लेकिन अब तो लगता है, समाजवादी पार्टी में उनके लिए भी अखिलेश यादव ने मार्गदर्शक मंडल का इंतजाम पहले ही कर रखा है.

आखिरकार बीजेपी को लंबी तलाश के बाद नया कार्यकारी अध्यक्ष मिल ही गया. बिहार के मंत्री नितिन नबीन को बीजेपी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है. नितिन नबीन बिहार में इस वक्त सड़क निर्माण मंत्री हैं. नितिन नबीन पटना के बांकीपुर से बीजेपी विधायक हैं और उन्हें बिहार का युवा चेहरा माना जाता है. वो भारतीय युवा जनता मोर्चा के महासचिव भी रह चुके हैं.

नितिन नबीन को भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है. वे बिहार सरकार में मंत्री हैं और संगठन में अपनी मजबूत पकड़ के लिए जाने जाते हैं. नितिन नबीन ने पिछले कई वर्षों से युवा राजनीति और संगठनात्मक कार्यों में सक्रिय योगदान दिया है. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में उनकी रणनीति और नेतृत्व ने बीजेपी को बड़ी जीत दिलाई थी.

कांग्रेस पार्टी दिल्ली के रामलीला मैदान में वोट चोरी के आरोपों को लेकर महत्वपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रही है. पार्टी ने चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ियों की बात कही है और बताया कि सरकार तथा चुनाव आयोग की मिलीभगत से लोकतंत्र कमजोर हो रहा है. इस रैली का उद्देश्य जनता को इस मुद्दे पर जागरूक करना और दबाव बनाना है ताकि चुनाव में पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके.










