कौन जीतेगा 2024 का रण? चुनाव विश्लेषकों ने बताए नतीजे तय करने वाले मुद्दे और रुझान
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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव पॉप-अप: इलेक्शन स्पेशल में बुधवार को शीर्ष चुनावी विश्लेषक और इंडिया टुडे ग्रुप के टॉप एडिटर्स एक साथ आए और 4 जून को आने वाले चुनावी नतीजों की संभावनाओं पर चर्चा की. पैनलिस्ट्स के साथ बीजेपी और कांग्रेस को मिलने वाली सीटों की संख्या, इस बार देखे गए रुझान और चुनाव में अन्य निर्णायक कारकों के बारे में बातचीत हुई.
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव पॉप-अप: इलेक्शन स्पेशल में बुधवार को शीर्ष चुनावी विश्लेषक और इंडिया टुडे ग्रुप के टॉप एडिटर्स एक साथ आए और 4 जून को आने वाले चुनावी नतीजों की संभावनाओं पर चर्चा की. पैनलिस्ट्स से बीजेपी और कांग्रेस को मिलने वाली सीटों की संख्या, इस बार देखे गए रुझान और चुनाव में अन्य निर्णायक कारकों के बारे में सवाल किए गए.
सेशन के पैनल में एक्सिसमायइंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर प्रदीप गुप्ता, लोकनीति-सीएसडीएस के को-डायरेक्टर संजय कुमार, इंडिया टुडे टेलीविजन और आज तक के न्यूज डायरेक्टर और बिजनेस टुडे के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर राहुल कंवल और इंडिया टुडे टेलीविजन के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई मौजूद रहे.
'बहुत बड़ा नहीं होगा जीत का अंतर'
संजय कुमार ने कहा, 'मेरी राय में, परिदृश्य यह है कि बीजेपी अपने सहयोगियों के साथ करीब 300 सीटें जीतेगी. मुझे नहीं लगता कि बीजेपी के अपने सहयोगियों के साथ 370 और 400 के आस पास कहीं दूर-दूर तक जाने की संभावना है.'
उन्होंने भविष्यवाणी की कि भाजपा 272 से अधिक सीटें जीतेगी लेकिन अंतर बहुत बड़ा नहीं होगा. उन्होंने कहा कि वर्तमान चुनाव 2019 की तुलना में अधिक प्रतिस्पर्धी है. कांग्रेस 2019 की तुलना में अपनी स्थिति में सुधार करेगी.
'अगले 50 साल तक बेरोजगारी और महंगाई रहेंगे मुद्दे'
लगभग 37 लाख की आबादी वाले मणिपुर के इतिहास में कई घटनाएं हुई हैं. लेकिन पिछले 1 साल में मणिपुर में जो हुआ, इसकी कल्पना किसी ने भी नहीं की होगी. अदालत के एक आदेश के बाद 3 मई 2023 को मणिपुर की घाटी और पहाड़ों में रहने वाले 2 समुदायों के बीच ऐसी जंग छिड़ गई थी, जिसका अभी तक अंत नहीं हो सका है. इंफाल समेत पूरी घाटी में रहने वाले मैतेई बहुल इलाकों और घाटी के चारों तरफ पहाड़ों पर रहने वाले कुकी आदिवासी बहुल इलाकों के बीच एक अनकही खाई बन गई है.
डीजीपी ने कहा, 'जब आप किसी खतरे या चुनौती के बारे में बात करते हैं तो आप देखते हैं कि यह कितना गंभीर या बड़ा है. चुनौतियां सीमा पार से आ रही हैं और टेरर हैंडलर्स ने तय किया है कि वे इस तरह की आतंकी गतिविधियां को जारी रखेंगे. वे देख रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के दिन अब गिनती के रह गए हैं क्योंकि घाटी में आतंकी ढांचे को बड़ा झटका लगा है.'