कोरोना से मरने वालों के कफन चोरी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश, नए टैग लगाकर हो रही थी रीसेलिंग
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ये पूरा मामला उत्तर प्रदेश के बागपत का है. कोरोना से मरने वालों का अंतिम संस्कार करने के लिए बेहद ही सावधानी बरती जाती है. उनके आस पास कोई नहीं होता है. इनके पास मौजूद सामान को भी कोई नहीं छूता है, तो वहीं ये गिरोह अंतिम संस्कार के दौरान इनके कफन, कपड़े और अन्य सामान चोरी कर लेते थे.
कोरोना संकट में जिसके हाथ जो पड़ रहा है, वो लूट करने में लगा है, लेकिन यूपी के बागपत में तो ऐसा मामला सामने आया है, जो हैरान कर देने वाला है. यहां पुलिस ने ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो कोरोना से मरने वाले मुर्दों का कफन चोरी कर रहे थे. बाद में इन्हें सस्ते दामों पर व्यापारियों को बेचा जा रहा था. पुलिस ने इस गिरोह के 7 सदस्यों को दबोचा है. उत्तर प्रदेश के बागपत का ये पूरा मामला है. कोरोना से मरने वालों का अंतिम संस्कार करने के लिए बेहद ही सावधानी बरती जाती है. उनके आस पास कोई नहीं होता है. इनके पास मौजूद सामान को भी कोई नहीं छूता है, तो वहीं ये गिरोह अंतिम संस्कार के दौरान इनके कफन, कपड़े और अन्य सामान चोरी कर लेते थे. बागपत के जनपद की बड़ौत कोतवाली पुलिस ने ऐसे 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जो श्मशान और कब्रिस्तान में दीवार फांदकर मुर्दों के कपड़े और कफन चोरी किया करते थे, जिसके बाद उन पर ब्रांडेड कंपनियों का स्टीकर लगाने के बाद उन्हें महंगे दामों पर बेच दिया करते थे. जिससे लोगों में कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ गया था.नवाज शरीफ ने 25 साल बाद एक गलती स्वीकार की है. ये गलती पाकिस्तान की दगाबाजी की है. 20 फरवरी 1999 को दिल्ली से जब सुनहरी रंग की 'सदा-ए-सरहद' (सरहद की पुकार) लग्जरी बस अटारी बॉर्डर की ओर चली तो लगा कि 1947 में अलग हुए दो मुल्क अपना अतीत भूलाकर आगे चलने को तैयार हैं. लेकिन ये भावना एकतरफा थी. पाकिस्तान आर्मी के मन में तो कुछ और चल रहा था.
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