कोरोना से भारत में चीन जैसा क्यों नहीं होगा असर? देश के 5 बड़े एक्सपर्ट्स ने बताए कारण
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चीन में कोरोना से बिगड़े हालात पर भारत समेत दुनिया भर के देश बेहद चिंतित हैं. भारत में भी कोरोना से निपटने की तैयारियां तेज हो गई हैं. लोगों में डर है कि कहीं चीन जैसे हालात भारत में भी पैदा न हो जाएं. लेकिन भारतीय विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में चीन जैसे हालात होने की संभावना काफी कम है. विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है. बस सतर्क रहने की जरूरत है.
चीन के साथ साथ जापान, दक्षिण कोरिया और अमेरिका समेत कई देशों में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. चीन में कोरोना से हालात बिगड़ते जा रहे हैं. अस्पतालों में मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते न बेड बचे हैं और न ही दवाइयों की भी भारी कमी है. इतना ही नहीं चीन में अस्पतालों में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की कमी हो रही है. दुनियाभर में कोरोना के केसों को देखते हुए भारत में भी महामारी की एक और लहर की आशंका जताई जा रही है. भारत सरकार ने भी कोरोना से निपटने के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं. मास्क से लेकर सोशल डिस्टेंसिंग तक लौटने की सलाह दी जा रही है. ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या भारत में भी चीन की तरह कोरोना का असर दिखेगा, या यहां हालत कुछ और रहेंगे. आइए इसे लेकर 5 एक्सपर्ट्स की क्या राय है, जानते हैं...
नई लहर की उम्मीद नहीं- डॉ गुलेरिया
AIIMS के पूर्व निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोरोना को लेकर पेनिक होने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में देश में कोरोना के केस बढ़ सकते हैं लेकिन यह माइल्ड केस होंगे लेकिन मुझे नहीं लगता है कि लोगों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ेगी. BF.7 वेरिएंट से न तो हॉस्पिटलाइजेशन बढ़ेगा और न ही मौतों की संख्या क्योंकि अब हमारी इम्यूनिटी बहुत ज्यादा हो गई है. ऑमिक्रॉन के इस वेरिएंट से लोगों को निमोनिया नहीं हो रहा है, जैसे कि हमने डेल्टा वेरिएंट में देखा गया था.
उन्होंने कहा कि भारत में जुलाई से यह वैरिएंट है लेकिन हमने देखा कि इसकी वजह से न तो हॉस्पिटलाइजेशन बढ़ा और न ही मौतें हुईं. यह वेरिएंट लंबे समय तक भी रह सकता है लेकिन नई लहर की उम्मीद नहीं है. अगर मास्क पहनते हैं तो यह अच्छा है. वैसे यह अन्य वायरल इंफेक्शन, प्रदूषण से भी बचाता है. पिछली बार देखा गया कि मास्क अनिवार्य करने के बाद भी लोग मास्क पहने नहीं दिखाई दिए थे. तो ऐसे में मुझे लगता है कि लोगों को मास्क पहनने के लिए जागरूक करना चाहिए.
डॉ गुलेरिया ने कहा, आंकड़े बताते हैं कि ऐसे वेरिएंट ज्यादातर लोगों को संक्रमित करते हैं. हमने देखा कि ओमिक्रॉन ने औसतन 5 लोगों को संक्रमित किया. वहीं नया वेरिएंट 10 से 18 लोगों को संक्रमित कर रहा है. यानी यह वेरिएंट ज्यादा लोगों को संक्रमित कर रहा है, लेकिन इससे लोग जल्दी रिकवर भी कर रहे हैं. मुझे लगता है कि कोरोना को लेकर भारत में वर्स्ट टाइम खत्म हो चुका है. हम अच्छी इम्यूनिटी डिवेलप कर चुकी है. वैक्सिनेशन और नेचुरल इम्यूनिटी के कारण हम इस समय अच्छी स्थिति में हैं.
डॉ गुलेरिया ने कहा, मुझे लगता है कि तीन वजहों से यह समस्या चीन स्पेसिफिक है. पहला- चीन में जीरो कोविड पॉलिसी लागू की गई, जो शुरुआत में ठीक थी लेकिन इससे चीन की ज्यादातर आबादी वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी नहीं बना पाई. दूसरा- चीन में बड़ी आबादी को वैक्सीन नहीं लग पाई. आंकड़े बताते हैं कि चीन में बुजुर्गों को भी वैक्सीन नहीं लग पाई. तीसरा- चीन ने लोकल स्तर पर कोरोना की वैक्सीन बनाई, जिसे इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर कोई मान्यता नहीं मिली. हमें यह भी पता कि उनकी वैक्सीन कोरोना पर कितनी असरकारी रही.
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