कोरोना: सरकार ने SC में दिया हलफनामा, वैक्सीनेशन से लेकर बाकी तैयारियों पर दिया जवाब
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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दायर किया है. इसमें कोरोना संकट से निपटने की स्थिति, वैक्सीनेशन और अन्य तमाम सवालों के जवाब दिए गए हैं. सोमवार को भी सुप्रीम कोर्ट में कोविड संकट पर सुनवाई होनी है.
कोरोना वायरस महासंकट के बीच केंद्र सरकार की ओर से रविवार देर रात को सुप्रीम कोर्ट में वैक्सीनेशन और कोविड प्रबंधन पर जवाब सौंपा गया है. करीब 218 पेज के इस हलफनामे में केंद्र सरकार द्वारा कोविड स्थिति, उससे निपटने के प्लान और वैक्सीनेशन के अलावा उन सभी प्रश्नों के जवाब दिए हैं, जो सर्वोच्च अदालत ने पूछे थे. केंद्र की ओर से जानकारी दी गई है कि देश में कोई भी कोविड मरीज़ किसी भी अस्पताल में भर्ती हो सकता है, इसके लिए RT-PCR रिपोर्ट, राज्य या शहर जैसी कोई बाध्यता नहीं है. साथ ही स्थिति को देखते हुए कोविड केयर सेंटर, बेड्स, स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या बढ़ाई गई है, मेडिकल छात्रों को भी इस काम में लगाया गया है. सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने बताया है कि 100 दिन तक कोविड का काम करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को आर्थिक रूप से इंसेंटिव देने की पहल भी की गई है. वैक्सीनेशन पर अदालत को दी ये जानकारी देश में इस वक्त वैक्सीनेशन का काम भी चल रहा है. केंद्र ने जानकारी दी है कि वैक्सीन के उत्पादन के साथ-साथ उपलब्धता पर ज़ोर है. अब 18 साल से अधिक उम्र वालों के लिए टीकाकरण खोल दिया गया है. साथ ही अब राज्य सरकारें सीधे वैक्सीन उत्पादक से वैक्सीन ले सकती हैं. केंद्र सरकार के हलफनामे में वैक्सीन की कीमत पर बात की गई है. सरकार ने कहा है कि वैक्सीन उत्पादकों से बात कर यह तय कर दिया गया है कि सभी राज्यों को समान दर पर वैक्सीन मिलेगी. लेकिन केंद्र को सस्ती वैक्सीन देने के पीछे वजह ये बताई गई है कि केंद्र ने बड़े ऑर्डर और पेशगी रकम कंपनी को दी है. गौरतलब है कि वैक्सीन के अलग-अलग दाम को लेकर पहले भी विवाद हुआ था, फिर ये मसला सुप्रीम कोर्ट में भी उठा था. जिसका जवाब अब केंद्र सरकार ने दिया है. सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को भी कोविड प्रबंधन को लेकर सुनवाई होनी है.नवाज शरीफ ने 25 साल बाद एक गलती स्वीकार की है. ये गलती पाकिस्तान की दगाबाजी की है. 20 फरवरी 1999 को दिल्ली से जब सुनहरी रंग की 'सदा-ए-सरहद' (सरहद की पुकार) लग्जरी बस अटारी बॉर्डर की ओर चली तो लगा कि 1947 में अलग हुए दो मुल्क अपना अतीत भूलाकर आगे चलने को तैयार हैं. लेकिन ये भावना एकतरफा थी. पाकिस्तान आर्मी के मन में तो कुछ और चल रहा था.
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