
कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों को अडॉप्ट करने में न करें गलती, एक्सपर्ट्स ने चेताया
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कोरोना महामारी के दौर में सोशल मीडिया पर बच्चों को गोद लेने जैसे पोस्ट भी चल रहे हैं, लेकिन बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया इतनी आसान नहीं है. साथ ही एक्सपर्ट ये भी चिंता जाहिर करते हैं कि कुछ लोग इन स्थितियों का गलत फायदा उठा सकते हैं.
देश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार घातक होती जा रही है. हर दिन हजारों की संख्या में लोग दम तोड़ रहे हैं. ऐसे में कई बच्चों की सिर से मां-बाप का साया उठ जा रहा है. ऐसे में सोशल मीडिया पर ऐसे अनथ बच्चों की मदद के लिए डोनेशन या अडॉप्ट करने को लेकर पोस्ट भी बढ़ रहे हैं. महामारी के दौर में लोगों ऐसे बच्चों को लेकर सहानुभूति जाहिर है, लेकिन ये कानून का उल्लंघन भी है. जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2000 और सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी की तरफ से ऐसे बच्चों के लिए एक अलग गाइडलाइंस है. कोई भी ऐसा बच्चा, जिसके मां-बाप नहीं है, उसके अडॉप्शन को लेकर एक पूरी प्रक्रिया है. इतनी आसानी से कोई भी एनजीओ या व्यक्ति ऐसे बच्चे को न तो गोद ले सकता है और न ही उसकी देखभाल कर सकता है. यहां तक कि उसके परिवार के ही सदस्यों के लिए भी एक प्रक्रिया है.
संसद के शीतकालीन सत्र में 8 और 9 दिसंबर 2025 को राष्ट्रगीत वंदे मातरम् पर दोनों सदनों में विशेष चर्चा होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री इस चर्चा को संबोधित करेंगे. चर्चा का उद्देश्य वंदे मातरम् के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान, ऐतिहासिक महत्व और वर्तमान प्रासंगिकता को उजागर करना है.

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