
केजरीवाल दिल्ली की राजनीति से ज्यादा महत्व पंजाब और गुजरात के उपचुनावों को क्यों दे रहे हैं?
AajTak
अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुकाबले पंजाब और गुजरात की राजनीति में ज्यादा सक्रिय नजर आ हैं. पंजाब की लुधियाना वेस्ट और गुजरात की विसावदर सीट पर होने वाले उपचुनावों को आम आदमी पार्टी पूरी ताकत से लड़ रही है - और आने वाले विधानसभा चुनावों के लिए एक नया रोडमैप भी तैयार किया गया है.
अरविंद केजरीवाल दिल्ली में भले नजर न आते हों, लेकिन सत्ता के गलियारों में उनको शिद्दत से महसूस किया जाता है. विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की हार के बाद से अरविंद केजरीवाल को दिल्ली के मुकाबले पंजाब में कहीं ज्यादा देखा जा रहा है - और वो अकेले नहीं बल्कि मनीष सिसोदिया सहित उनकी भरोसेमंद पूरी टीम भी वहीं डटी हुई है.
दिल्ली से अरविंद केजरीवाल निकले तो थे विपश्यना के लिए, लेकिन उसके बाद भी पंजाब में ही जमे हुए हैं. पंजाब में रुकने की बड़ी वजह तो वहां आम आदमी पार्टी की सरकार होना है, जिसे जैसे भी संभव हो बचाकर रखना अरविंद केजरीवाल के लिए सबसे जरूरी है. किसी भी राजनीतिक दल के लिए सत्ता की राजनीति कितना मायने रखती है, पंजाब में अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम की मौजूदगी सबसे बड़ी मिसाल है.
बीजेपी की दिल्ली सरकार के सौ दिन पूरे होने के मौके पर जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में एक कार्यक्रम हुआ था, जहां एक्टर अनुपम खेर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का इंटरव्यू ले रहे थे. इंटरव्यू के दौरान अनुपम खेर ने नाम तो नहीं लिया था, लेकिन उनके कटाक्ष में अरविंद केजरीवाल का जिक्र साफ तौर पर समझ में आ रहा था.
कार्यक्रम शुरू हुआ तो सबसे पहले मंच पर अनुपम खेर ही पहुंचे और कहने लगे, बहुत दिनों के बाद एक ऐसी सरकार आई है, जिसकी उपलब्धियों पर बात करना बहुत जरूरी है... अब आप पूछेंगे कि आपका इससे क्या मतलब है, तो कहना चाहूंगा कि मुझे सच्चाई की तरफ खड़ा होना अच्छा लगता है.
इंटरव्यू के दौरान जब रेखा गुप्ता अपनी सरकार की उपलब्धियां गिना रही थीं, तभी अनुपम खेर खांसी के बहाने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरफ ध्यान खींचा. और बोले, 'आप इतनी देर से बोल रही हैं, मगर एक बार भी खांसी नहीं हैं... और न ही यहां बैठे दो हजार लोग खांसे हैं... पहले लोगों को खांसी की आदत पड़ गई थी.'
दिल्ली में बीजेपी सरकार के 100 दिन पूरा होना एक बड़ा मौका था, लेकिन आम आदमी पार्टी की तरफ से रस्मअदायगी ही दिखी. दिल्ली तो सौरभ भारद्वाज और आतिशी के हवाले है, जबकि मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैसे आप नेता पंजाब में अरविंद केजरीवाल के साथ डेरा डाले हुए हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति को रूसी भाषा में भगवद गीता का एक विशेष संस्करण भेंट किया है. इससे पहले, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति को भी गीता का संस्करण दिया जा चुका है. यह भेंट भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को साझा करने का प्रतीक है, जो विश्व के नेताओं के बीच मित्रता और सम्मान को दर्शाता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को कई अनोखे और खास तोहफे भेंट किए हैं. इनमें असम की प्रसिद्ध ब्लैक टी, सुंदर सिल्वर का टी सेट, सिल्वर होर्स, मार्बल से बना चेस सेट, कश्मीरी केसर और श्रीमद्भगवदगीता की रूसी भाषा में एक प्रति शामिल है. इन विशेष तोहफों के जरिए भारत और रूस के बीच गहरे संबंधों को दर्शाया गया है.

चीनी सरकारी मीडिया ने शुक्रवार को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के उन बयानों को प्रमुखता दी, जिनमें उन्होंने भारत और चीन को रूस का सबसे करीबी दोस्त बताया है. पुतिन ने कहा कि रूस को दोनों देशों के आपसी रिश्तों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं. चीन ने पुतिन की भारत यात्रा पर अब तक आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन वह नतीजों पर नजर रखे हुए है.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में शुक्रवार रात डिनर का आयोजन किया गया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस डिनर में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को निमंत्रण नहीं दिया गया. इसके बावजूद कांग्रेस के सांसद शशि थरूर को बुलाया गया.

आज रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर वार्ता के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है. यानी दोनों देशों का संबंध एक ऐसा अटल सत्य है, जिसकी स्थिति नहीं बदलती. सवाल ये है कि क्या पुतिन का ये भारत दौरा भारत-रूस संबंधों में मील का पत्थर साबित होने जा रहा है? क्या कच्चे तेल जैसे मसलों पर किसी दबाव में नहीं आने का दो टूक संकेत आज मिल गया? देखें हल्ला बोल.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर में जमा पैसा देवता की संपत्ति है और इसे आर्थिक संकट से जूझ रहे सहकारी बैंकों को बचाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें थिरुनेल्ली मंदिर देवस्वोम की फिक्स्ड डिपॉजिट राशि वापस करने के निर्देश दिए गए थे. कोर्ट ने बैंकों की याचिकाएं खारिज कर दीं.







