कानपुर: जज को हुआ कोरोना तो निजी अस्पताल लेकर गए CMO, दोनों लिफ्ट में फंसे, केस दर्ज
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कानपुर के जिला जज को एक निजी अस्पताल में इलाज के लिए जगह नहीं मिली. कानपुर के एक निजी अस्पताल में बुधवार को कोरोना पॉजिटिव जिला जज इलाज के पहुंचे पर उन्हें इलाज नहीं मिला. मुख्य चिकित्साधिकारी डॉक्टर अनिल कुमार मिश्रा ने नारायणा अस्पताल के खिलाफ पनकी थाने में मुकदमा दर्ज कराया है.
कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है. क्या आम, क्या खास, लोगों को समय पर इलाज नहीं मिल रहा है, जिसकी वजह से मौतों का सिलसिला बढ़ता जा रहा है. कानपुर में एक जिला जज को एक निजी अस्पताल में इलाज नहीं मिल पाया. वे नारायणा अस्पताल में बुधवार को इलाज कराने पहुंचे थे. निजी अस्पताल में नहीं मिला जिला जज को इलाजनवाज शरीफ ने 25 साल बाद एक गलती स्वीकार की है. ये गलती पाकिस्तान की दगाबाजी की है. 20 फरवरी 1999 को दिल्ली से जब सुनहरी रंग की 'सदा-ए-सरहद' (सरहद की पुकार) लग्जरी बस अटारी बॉर्डर की ओर चली तो लगा कि 1947 में अलग हुए दो मुल्क अपना अतीत भूलाकर आगे चलने को तैयार हैं. लेकिन ये भावना एकतरफा थी. पाकिस्तान आर्मी के मन में तो कुछ और चल रहा था.
देश के ज्यादातर मैदानी इलाकों में पड़ रही प्रचंड गर्मी के बीच दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) वीके सक्सेना ने बड़ा फैसला लिया है. LG ने निर्देश दिया है कि इस भीषण गर्मी में मजदूरों को 12 बजे से लेकर 3 बजे तक काम से छुट्टी मिलेगी. साथ ही मजदूरों को मिलने वाली इस राहत के बदले कोई भी उनकी सैलरी नहीं काट सकेगा.
करीब सवा सौ गज के एक छोटे से मकान में यह अस्पताल चल रहा था. इस मकान की स्थिति ऐसी है कि वह किसी भी वक्त गिर सकता है. अस्पताल के ग्राउंड फ्लोर पर ऑक्सीजन के सिलेंडर बिखरे मिले. इनमें से कुछ सिलेंडर के परखचे उड़े हुए थे, क्योंकि आग लगने के बाद इनमें विस्फोट हुआ था अस्पताल में लगी आग को भयावह रूप देने में इन ऑक्सीजन सिलेंडर ने भी मदद की.